• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. खोज-खबर
  3. ज्ञान-विज्ञान
  4. nasa to crash spacecraft into asteroid in 2022
Written By
Last Modified: गुरुवार, 9 मई 2019 (18:25 IST)

Asteroid को तबाह करने के लिए NASA ने बनाया स्पेशल स्पेसक्राफ्ट, जानिए पृथ्वी पर क्या पड़ेगा असर

Asteroid को तबाह करने के लिए NASA ने बनाया स्पेशल स्पेसक्राफ्ट, जानिए पृथ्वी पर क्या पड़ेगा असर - nasa to crash spacecraft into asteroid in 2022
नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) एक स्पेसक्राफ्ट को लांच करने की तैयारी कर रहा है, जो 2022 में बाइनरी क्षुद्रग्रह प्रणाली (बाइनरी एस्टेरॉयड सिस्टम) के मूनलेट यानी चंद्रमा जैसे छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देगा।

इस डिडिमॉस नाम के इन एस्टेरॉयड को सितंबर 2022 में स्पेस X के फाल्कन 9 रॉकेट से तबाह किया जाएगा। हालांकि नासा ने स्पष्ट किया है कि इस पूरे मिशन का असर पृथ्वी पर नहीं पड़ेगा।
 
समझिए क्या होता है बाइनरी एस्टेरॉयड सिस्टम यानी मूनलेट : 'मूनलेट' का अर्थ होता एक छोटा-सा चंद्रमा जैसे पिंड जो किसी दूसरे पिंड के चक्कर लगाते हों। बाइनरी एस्टेरॉयड सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें ऐसे बहुत सारे छोटे-छोटे चंद्रमा शामिल हों जो एक ही बेरीसेंटर का चक्कर लगा रहे हों। बेरीसेंटर वह पिंड होता है, जिसका चक्कर कई छोटे-छोटे पिंड लगा रहे होते हैं।
 
साधारण शब्दों में कहा जाए तो छोटे-छोटे पिंड जो किसी दूसरे पिंड के चारों ओर घूमते रहते हैं, क्योंकि ये कई सारे होते हैं, उन्हें मूनलेट कहते हैं। इन बाइनरी एस्टेरॉयड सिस्टम कहा जाता है। डिडिमोस नाम का एक ऐसी ही क्षुद्रग्रह प्रणाली है, जिसके एक एस्टेरॉयड को नासा निशाना बनाकर सितंबर 2022 में रॉकेट छोटे-छोटे टुकड़ों में तब्दील करने वाला है।
 
डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट यानी DART नासा का पहला ऐसा मिशन है जो खगोलीय रक्षा तकनीक का प्रदर्शन करेगा। नासा के मुताबिक इसे सन् 2021 में लॉन्च किया जाएगा। DART सौर ऊर्जा से बनी बिजली की संचालक शक्ति से इस 'छोटे चंद्रमा' को भेदेगा। इस ऑपरेशन को करते समय यह विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा कि ये 'छोटे चंद्रमा' धरती की 1 करोड़ 10 लाख किमी की दूरी के अंदर हों।
 
नासा के मुताबिक जिन एस्टेरॉयड को इस परीक्षण के दौरान भेदा जाएगा, उनसे धरती को कोई खतरा नहीं है और बस उन्हें उपयुक्त लक्ष्य माना जा रहा है इसलिए उन पर यह प्रयोग किया जाएगा।
(Photo courtesy: nasa.gov)