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बाल कविता : गुल्ली बोली
गुल्ली बोली इस तितली को,हलुआ पुड़ी खिलाऊंगी। कभी लंच पर कभी डिनर पर,इसको रोज बुलाऊंगी। सुनी बात तो तितली बोली,हलुआ पुड़ी न खाऊंगी। अगर खिलाओ पिज्जा वर्गर,तभी लंच पा आऊंगी। डिनर रात को होता इससे,रात नहीं आ पाऊंगी। ब्रेक फास्ट में, अगर खिलाओ,चाऊमिन तो आऊंगी।