बाल कविता : कछुए की सवारी
कछुए पर बैठा था कौवा,बोला यह तो रेल हमारी।इसी रेल में बैठा बैठा,घूमूंगा मैं दुनिया सारी।कौवी बोली बड़े मूर्ख हो,यह दिन में दो मील जाएगा।यह दुनिया तो बहुत बड़ी है,तुम को यह कब तक घुमाएगा।कौवा बोला नहीं पता क्या,कच्छप का अवतार लिया था,नारायण ने इसके ऊपर,ही धरती का भर लिया था।दुनिया की तो बातें छोडो़,यह ब्रह्मांड घूमा लाएगा।नहीं लगेगी हर्र फिटकरी,रंग चोखा करवा लाएगा।