फनी कविता : आई गर्मी, आम पका...
शुभदा पाण्डेय
आई गर्मी आम पका
मस्ती में झूलता सदा
कोयल सोचे मैं खाऊं
मधुर कंठ में फिर गाऊं
बच्चे सोचें लेंगे स्वाद
छिप कर रहे निशाना साध
इतने में माली आया
कौन वहां वह चिल्लाया
भागे बच्चे भूल प्लान
बन आई तोते की शान
छिपी गिलहरी बोली बच्चू
मेरे हैं ये मिट्ठू-मिट्ठू
इधर पेड़ ने ये फरमाया
क्यों इतना घबराए भाया
सब खाएंगे हंसते-गाते
अपने हिस्से का सब खाते।
साभार - देवपुत्र