शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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बाल कविता : कहा शेर ने...

बाल कविता : कहा शेर ने... - poem on sher
मैंने कहा शेर से भैया,
मेरे घर पर आओ।


 
अतिथि बनो मेरे प्रिय भैया,
मुझे धन्य कर जाओ।
 
कहा शेर ने इन बातों में,
समय मत करो जाया।
जंगल का पशु मानव के संग,
कहां कभी रह पाया।
 
आम आदमी सिगरेट पीता,
तम्बाकू खाता है।
जंगल के हम जीवों को यह,
भला कहां भाता है।
 
न हम कभी चरस पीते हैं,
न अफीम ही खाते।
इंसानों के योग्य कहीं हम,
अपने को न पाते।