शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By शम्भू नाथ

नववर्ष कविता: बहुत बंधी है आशा

नववर्ष कविता: बहुत बंधी है आशा - New Year Poem
नई उमंगें नई लालसा, नई-नई अभिलाषा
आने वाले साल से, बहुत बंधी है आशा 
 
खुशियों के मोती बरसेंगे, भागेगी निराशा
आने वाले साल से, बहुत बंधी है आशा
 
भ्रष्टाचार भ्रष्ट होगा, घट जाएगी महंगाई 
खुशी से जीवन बीतेगा, बजेगी खूब शहनाई
 
कोई भूखा नहीं मरेगा, न रहेगा कोई प्यासा 
आने वाले साल से बहुत बंधी है आशा