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बाल गीत : लोरी...

बाल गीत : लोरी... - Lori Poem
- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

ल्‌र ल्‌र लोरी
नाच रही छोरी, 


 
स्कूल है जाना
गाना भी गाना, 
पढ़ने के साथ
मस्ती है थोड़ी, 
ल्‌र ल्‌र लोरी
 
चल नहीं पाती
नाच भी दिखाती, 
दुबली ही होगी
मोटी है गौरी, 
ल्‌र ल्‌र लोरी
 
साग सब्जी खाएगी
ताकत भी आएगी, 
लड़ भी जाएगी
पतंग-सी है डोरी, 
ल्‌र ल्‌र लोरी
 
तन तन जाएगा
मन महक पाएगा, 
आलस भी जाएगा
हो गया हो चोरी, 
ल्‌र ल्‌र लोरी। 
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