शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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बाल कविता : हिन्दुस्तानी खाना

बाल कविता : हिन्दुस्तानी खाना - Crow Poems
न कौए को पिज्जा भाता,
न कोयल को बर्गर। 


 
उन्हें चाहिए हल्दी वाला,
दूध कटोरे भर-भर। 
 
दोनों मिले लंच टेबल पर,
बोले नहीं सुहाता। 
पिज्जा-बर्गर-चाऊमीन से,
तो जी उकता जाता। 
 
गरम परांठे मक्खन वाले,
सुबह-सुबह आजमाओ।
और लंच में दाल-भात-घी,
सब्जी के संग खाओ। 
 
तभी मिलेंगे पूर्ण विटामिन,
पोषक तत्व मिलेंगे। 
दिनभर उड़ते रहें गगन में,
फिर भी नहीं थकेंगे। 
 
सारी दुनिया को भाता है,
हिन्दुस्तानी खाना। 
हमने ही अपने खाने का,
मोल नहीं पहचाना।