17 अक्टूबर 2019, गुरुवार को करवा चौथ
अखंड सुहाग का दमकता झिलमिलाता पर्व करवा चौथ 17 अक्टूबर 2019 को है। आइए जानें, कैसे मनाया जाता है सौभाग्य का यह पर्व...
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं।
यह खाना उनकी सास बनाती हैं।
इसे खाने के बाद महिलाएं अपने शादी के जोड़े में सजधज कर पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं।
दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है।
शाम को करवा देवी की पूजा होती है,जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।
चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं। पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है।
करवा चौथ का मुहूर्त :इस दिन पूजा का मुहूर्त 13 घंटे 56 मिनट का है।
सुबह 6:21 से रात 8:18 तक।
करवा चौथ : चांद निकलने का समय
करवा चौथ पर इस बार चांद 8:18 पर निकलेगा।
जो महिलाएं उपवास रखती है वो अपनी संस्कृति और परम्परा के अनुसार पूजा थाली लेकर एक घेरा बनाकर बैठ जाती हैं,उनमें से एक (जो ज्यादातर एक ज्येष्ठ औरत या एक पुजारी) करवा चौथ की कथा (गौरी, गणेश और शंकर) कहती हैं और तब वे 7 बार फेरी (वृत्त में अपने थाल एक दूसरे से बदलना) लगाते हुए करवा चौथ का गीत गाती है।
वे पूरी 7 फेरी लगाती है, पहली छः फेरी में, वे गाती है जैसे वीरों कुण्डियां करवा, सर्व सुहागन करवा, ए कात्ती नाया तेरी ना, कुंभ चकरा फेरी ना, आर पैयर पायेन ना, रुठदा मानियेन ना, सुथरा जगायेन ना,वे वीरों कुरिये करवा, वे सर्व सुहागन करवा”
वहीं सातवीं फेरी में “वीरों कुण्डियां करवा, सर्व सुहागन करवा, ए कात्ती नाया तेरी नी, कुंभ चकरा फेरी भी, आर पैयर पायेन भी, रुठदा मानियेन भी, सुथरा जगायेन भी, वे वीरों कुरिये करवा, वे सर्व सुहागन करवा”, गाती हैं।
राजस्थान में एक और रस्म है, उपवास रखने वाली महिला से दूसरी महिला द्वारा पूछा जाता है कि “धापी की नहीं धापी”( अर्थात् तृप्त हुई या नहीं?) वह जबाब देती है “जल से धापी, सुहाग से ना धापी” (पानी से तृप्त हुई हूं, पति से नहीं)।
व्रत में कुछ प्रतिबंध है जिनका उपवास रखने वाली महिलाओं द्वारा पालन करना चाहिए, जैसे कपड़े बुनना, किसी के लिए मन्नत मांगना, किसी की प्रशंसा करना,किसी को नींद से जगाना।
आजकल सास बहू को और बहू सास को उपहार देती हैं। इसी तरह पति पत्नी को और पत्नी अपने पति को दोनों एक दूसरे को उपहार देते हैं।