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क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण के कालिया मर्दन का असली संदेश ?

क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण के कालिया मर्दन का असली संदेश ? - Massage Behind Kaliya Mardan By Shri Krishna
पूज्य साने गुरुजी
श्रीकृष्ण की हर लीला, हर कर्म अपने आप में कोई न कोई संदेश का छुपाए हुए है। अगर आपने संदेश को जान लिया, तो समझो श्रीकृष्ण लीला का जान लिया। ऐसी ही एक लीला थी कालिया मर्दन की, कालिया नाग के फन पर सवार होकर नृत्य करने की। जैसे कालिया नाग अपने भीतर मौजूद अहंकार हो।  
 
लेकिन अहंकार के कालिया नाग को मिटाना पड़ता है। हमारा अहंकार निरंतर फुफकार मार रहा है। हमारे आसपास कोई आ नहीं सकता। मैं बड़ा हूं। मैं श्रेष्ठ हूं। दूसरे सब मूर्ख हैं। इस प्रकार के अहंकार के आसपास कौन रहेगा?
 
'जो सबसे ही रहे झगड़ता,
उसके जैसा कौन अभागा?'
 
ऐसी दुनिया में सबसे लड़ता रहने वाला यह अकेला अहंकारी कब मुक्त होगा? कृष्ण इस अहंकार के फन पर खड़ा है। जीवन यमुना से वह इस कालिया नाग को भगा देता है। इस जीवनरूपी गोकुल के द्वेष मत्सर के बड़वानल को श्रीकृष्ण निगल जाता है। वह दंभ, पाप के राक्षसों को नष्ट कर देता है।
 
इस प्रकार जीवन शुद्ध होता है। एक ध्येय दिखाई देने लगता है। उस ध्येय को प्राप्त करने की लगन जीव को लग जाती है। जो मन में वही होंठों पर, वही हाथों में। आचार, उच्चार और विचार में एकता आ जाती है। हृदय की गड़बड़ रुक जाती है। सारे तार ध्येय की खूंटियों से अच्छी तरह बांध दिए जाते हैं। उनसे दिव्य संगीत फूटने लगता है।