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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: गुरुवार, 5 जनवरी 2023 (12:58 IST)

IMD ने दी LOC पर हिमस्खलन की चेतावनी, बर्फीले तूफानों की आशंका के बीच सीमा पर डटे जवान

IMD ने दी LOC पर हिमस्खलन की चेतावनी, बर्फीले तूफानों की आशंका के बीच सीमा पर डटे जवान - avalanche threat on LOC
जम्मू। खराब मौसम के बीच मौसम विभाग ने एलओसी के दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन की चेतावनियां जारी की हैं। आम लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मनाही की गई है पर भारतीय सेना के जवान एलओसी से सटे इन इलाकों में स्थित अपनी चौकियों और बंकरों में डटे हुए हैं।
 
अक्सर यह देखा गया है कि हिमस्खलन के कारण सेना के जवान शहीद हो जाते हैं। एलओसी पर दुर्गम स्थानों पर हिमस्खलन से होने वाली सैनिकों की मौतों का सिलसिला कोई पुराना नहीं है बल्कि करगिल युद्ध के बाद से ही सेना को ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। करगिल युद्ध से पहले कभी कभार होने वाली इक्का दुक्का घटनाओं को कुदरत के कहर के रूप में ले लिया जाता रहा था पर अब लगातार होने वाली ऐसी घटनाएं सेना के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही हैं।
 
जानकारी के लिए वर्ष 2019 में 18 जवानों की मौत बर्फीले तूफानों के कारण हुई है। जबकि 2018 में 25 जवानों को हिमस्खलन लील गया था। अधिकतर मौतें एलओसी की उन दुर्गम चौकिओं पर घटी थीं जहां सर्दियों के महीनों में सिर्फ हेलिकाप्टर ही एक जरीया होता है पहुंचने के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भयानक बर्फबारी के कारण चारों ओर सिर्फ बर्फ के पहाड़ ही नजर आते हैं और पूरी की पूरी सीमा चौकियां बर्फ के नीचे दब जाती हैं।
 
Avalanche
हालांकि ऐसी सीमा चौकियों की गिनती अधिक नहीं हैं पर सेना ऐसी चौकिओं को करगिल युद्ध के बाद से खाली करने का जोखिम नहीं उठा रही है। दरअसल करगिल युद्ध से पहले दोनों सेनाओं के बीच मौखिक समझौतों के तहत एलओसी की ऐसी दुर्गम सीमा चौकिओं तथा बंकरों को सर्दी की आहट से पहले खाली करके फिर अप्रैल के अंत में बर्फ के पिघलने पर कब्जा जमा लिया जाता था। ऐसी कार्रवाई दोनों सेनाएं अपने अपने इलाकों में करती थीं।
 
पर अब ऐसा नहीं है। कारण स्पष्ट है। करगिल का युद्ध भी ऐसे मौखिक समझौते को तोड़ने के कारण ही हुआ था जिसमें पाक सेना ने खाली छोड़ी गई सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया था। नतीजा सामने है। करगिल युद्ध के बाद ऐसी चौकिओं पर कब्जा बनाए रखना बहुत भारी पड़ रहा है। सिर्फ खर्चीली हीं नहीं बल्कि औसतन हर साल कई जवानों की जानें भी इस जद्दोजहद में जा रही हैं।
 
हिमस्खलन की कुछ प्रमुख घटनाएं:-
30 नवंबर, 2019 - सियाचिन ग्लेशियर में भारी हिमस्खलन में सेना की पेट्रोलिंग पार्टी के दो जवान शहीद।
18 नवंबर, 2019 - सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आकर चार जवान शहीद, दो पोर्टर भी मारे गए।
10 नवंबर, 2019 - उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन की चपेट में आकर सेना के दो पोर्टरों की मौत।
31 मार्च, 2019 - उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हिमस्खलन में दबकर मथुरा के हवलदार सत्यवीर सिंह शहीद।
3 मार्च, 2019 - करगिल के बटालिक सेक्टर में ड्यूटी के दौरान हिमस्खलन में पंजाब के नायक कुलदीप सिंह शहीद।
8 फरवरी, 2019 - जवाहर टनल पुलिस पोस्ट हिमस्खलन की चपेट में आई, 10 पुलिसकर्मी लापता, आठ बचाए गए।
3 फरवरी, 2016 - हिमस्खलन से 10 जवान शहीद, बर्फ से निकाले गए लांस ना यक हनुमनथप्पा ने छह दिन बाद दम तोड़ दिया।
16 मार्च, 2012 - सियाचिन में बर्फ में दबकर छह जवान हुए शहीद।
 
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