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Written By WD
Last Updated : सोमवार, 6 अक्टूबर 2014 (15:30 IST)

ऑनलाइन सेल, सोशल मीडिया पर हुई फेल

ऑनलाइन सेल, सोशल मीडिया पर हुई फेल - fact of Online shopping
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ऐसे और भी न जाने कितने अविश्वसनीय ऑफर मिलें तो कौन खरीदारी से पीछे हटेगा। यही वजह है कि भारत में ऑनलाइन खरीदी-बिक्री का बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है। दशहरे-दीपावली के उत्सवी माहौल को भुनाने के लिए मिल ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स ने जमकर प्रचार-प्रसार के साथ अविश्वसनीय ऑफर दिए हैं। कई प्रमुख ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर तो 90 प्रतिशत की छूट दिए जाने के लुभावने विज्ञापनों के चलते सुबह से ही इन साइट्स पर खरीददारों और उत्सुकों ने लॉग इन किया।
लेकिन अधिकतर लोगों को 90 प्रतिशत छूट वाली वस्तुओं खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स पर सोल्ड आउट का बैनर देख भारी निराशा हुई। सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर अपना गुस्सा उतारते हुए लिखा कि 'महा'सेल? यह सिर्फ जनता को उल्लू बनाने का खेल है। फेसबुक और ट्विटर पर कई पन्ने बन गए हैं, जो बता रहे हैं कि सिर्फ कुछ सीमित स्टॉक के साथ ऑनलाइन साइट्स बेहद आकर्षक ऑफर दे रही हैं और अधिकतर लोगों का सेशन टाइम आउट हो रहा है। ऐसे में कई लोगों, खासतौर पर युवा नेटयूजर्स को सस्ते में अपना मनपसंद प्रोडक्ट न मिल पाने का खासा मलाल है।


क्यों बढ़ रही है ऑनलाइन शॉपिंग? : 
अमूमन लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ने का कारण आसानी से आकर्षक ऑफर्स और वाजिब दाम में घर बैठे चीजें खरीदना लगता है। दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह तेजी से बढ़ रही इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या है जिसके मद्देनजर ई-कॉमर्स दूसरे बाजारों तक बड़े स्तर पर कम लागत में कारोबार का विस्तार कर रहा है। इंटरनेट क्रांति ने जहां एक तरफ इस इजाफे में बड़ी भूमिका तो निभाई ही है, वहीं इसके भविष्य को और भी बेहतर बना दिया है। 1991 से देश में अपनाई गई उदारीकरण की नीति नें देश की अर्थव्यवस्था को काफी बदल दिया जिसके कारण 20 सालों के अंदर इसमें प्रगतिशील विकास देखने को मिला, वहीं इसके विपरीत पिछले 5 सालों में ऑनलाइन खरीदारी कल्चर ने बाजार अर्थशास्त्रियों को भी चौंका दिया है।

इस नए ट्रेंड ने युवाओं के साथ सबसे ज्यादा महिलाओं के एक बड़े वर्ग को जोड़ दिया है। देश में ऑनलाइन खुदरा बाजार से जुड़े 75 प्रतिशत लोग 15 से 34 आयु वर्ग के हैं जिनमें से 40 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है। इन आंकड़ों से साफ है कि वैश्विक स्तर पर युवा नेटिजंस की सर्वाधिक संख्या वाले देशों में भारत एक है। अनुमान है कि इस तरह की बढ़ोतरी से इनकी संख्या में आने वाले वर्षों में और अधिक इजाफा होगा।
अगले पन्ने पर जानिए कि आखिर कैसे मिलता है इतना सस्ता सामान

आखिर कैसे मिलता है ऑनलाइन सस्ता सामान?: ज्यादातर लोगों का मानना है कि ऑनलाइन मिलने वाले उत्पादों में विश्वसनीयता की कमी होती है और वे नहीं समझ पाते कि ये कंपनियां कैसे सामान सस्ता बेचती हैं? दरअसल, ये ऑनलाइन कंपनियां सीधे उत्पादकों से माल खरीदती हैं। जिसके इसकी कीमत में कमी आती है। बाजार में मिलने वाले उत्पाद कंपनी के बाद सप्लायर, रिटेलर से होते हुए आप तक पहुंचते हैं, जो इसकी कीमत में इजाफा करते हैं। इसे उसी तरह से देखा जा सकता है, जैसा कि कंपनी आउटलेट या डायरेक्ट सेल के जरिए माल बेचा जाता है।
 
क्या इंटरनेट शॉपिंग करना सुरक्षित है? : विशेषज्ञों के मुताबिक अभी भी एक ऐसा बड़ा वर्ग है, जो ऑनलाइन खरीदारी में मिलने वाली छूट से आकर्षित तो होता है लेकिन भरोसा न होने के कारण खरीदारी नहीं कर पाता, वहीं अभी भी बाजार जाकर खरीदारी का चलन सबसे ज्यादा उपयोगी माना जाता है। दूसरी तरफ ऑनलाइन शॉपिंग में कुछ फर्जी साइट्स होने के कारण भी लोगों का विश्वास कम हुआ है। ऐसे में जानी और चर्चित ऑनलाइन साइट्स से खरीदारी करना ही समझदारी है। समय के साथ इस सोच में भी बड़ा बदलाव आया है जिसका कारण कंपनियों द्वारा कैश ऑन डिलीवरी, रिटर्न की सुविधा और उत्पाद की गुणवत्ता है। साथ ही बहुत से ऐसे प्रोडक्ट हैं, जो सिर्फ ऑनलाइन साइट्स पर ही मौजूद हैं जिसमें कंपनियां ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनियों के साथ अनुबंध कर अपने उत्पादों को बेच रही हैं।
 
आ गया है ऑनलाइन खरीददारी का जमाना: इंटरनेट के युग में अब भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिस्पर्धी उपभोक्तावादी माहौल में सभी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए लगातार एक बडे बाजार के रूप में बनकर उभर रही है। ऐसे में ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते बाजार को देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ेगी। इसके अलावा आर्थिक सुस्ती और बढ़ती महंगाई भी ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते चलन को रोकने में असफल रही है। इन सबके मद्देनजर कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत में 2023 तक ऑनलाइन खरीदारी बढ़कर 56 अरब डॉलर हो जाएगी जिसे एक बडे़ रिकॉर्ड के रूप में देखा जा रहा है।