कोलंबो-नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर कोलंबो पहुंचे, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच पारंपरिक सम्पर्क को मजबूत बनाना है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चीन श्रीलंका में अपना पैर जमाने की कोशिश कर रहा है।
मोदी यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के सबसे बड़े त्योहार अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे और भारतीय मूल के तमिल समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे। वे यहां भारत की मदद से निर्मित अस्पताल का भी अनावरण करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के कोलंबो पहुंचने पर हवाईअड्डे पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे, विदेश मंत्री मंगला समरवीरा समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने उनकी आगवानी की। कोलंबो पहुंचने पर अंग्रेजी और श्रीलंका की भाषा में अपने ट्वीट में मोदी ने कहा, कोलंबो पहुंच गया हूं। श्रीलंका आकर खुश हूं, जहां मैं बैसाख दिवस समारोह में हिस्सा लूंगा।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने ट्वीट किया, 'जब श्रीलंका गर्व से अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस मना रहा है, मैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं, जो इस मौके पर यहां आए हैं।' हवाई अड्डे पर मोदी को श्रीलंका की वायु सेना ने सलामी दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की श्रीलंका यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब चीन की ओर से श्रीलंका में पैर जमाने का प्रयास किया जा रहा है। चीन, श्रीलंका में हमबनतोता बंदरगाह का विकास कर रहा है और उसके पनडुब्बी के बंदरगाह पर लंगर डालने की घटना भी सामने आ चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा का मुख्य एजेंडा भारत और श्रीलंका के बीच पारंपरिक संबंधों को गति प्रदान करना है विशेष तौर पर बौद्ध धर्म की साझा धरोहर के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है। अपनी यात्रा पर श्रीलंका रवाना होने से पहले मोदी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'पिछले दो वर्षों में यह मेरी दूसरी यात्रा होगी और यह हमारे मजबूत संबंधों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज से शुरू होने वाली श्रीलंका की उनकी यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का एक प्रतीक है और यह बौद्ध धर्म की साझा विरासत को सामने लाती है।
मोदी ने लिखा, यह दो वर्षों में वहां की मेरी दूसरी द्विपक्षीय यात्रा होगी जो हमारे मजबूत संबंध का संकेत है। मोदी ने लिखा, मेरी यात्रा के दौरान मैं कोलंबो में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में शिरकत करूंगा, जहां मैं बौद्ध धार्मिक नेताओं, विद्वानों और धर्मशास्त्रियों से वार्ता करूंगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के साथ इन समारोहों में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात है।
मोदी ने कहा, मेरी यात्रा भारत एवं श्रीलंका के बीच सबसे स्थायी संबंधों में से एक (बौद्ध धर्म की साझा विरासत) को उजागर करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 में उनकी पिछली यात्रा में उन्हें सदियों से बौद्ध धर्म के अहम केंद्र और यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल अनुराधापुर जाने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा, इस बार, मुझे कैंडी में दलादा मलिगवा पवित्र स्थान पर प्रार्थना करने का अवसर मिलेगा। (भाषा)