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Last Updated : शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021 (13:57 IST)

ऐसा होगा Future Human, लैब में गए और लगवा ली बॉयोनिक आंखें या रोबोटिक अंग

ऐसा होगा Future Human, लैब में गए और लगवा ली बॉयोनिक आंखें या रोबोटिक अंग - Future Human, future of world, bionic eyes
अभी हमें जिस चीज की जरूरत होती है, उसके लिए बाजार जाते हैं या ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं। ये हमारी रोजमर्रा की चीजें होती हैं।

लेकिन कोई ये कहे कि जैसे हम अपनी जरूरत की चीजें खरीदते हैं, वैसे ही हम किसी लैब में जाकर अपने शरीर के अंग, जैसे आंख, दांत, दिल भी ले सकेंगे तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन यकीन कीजिए, भविष्‍य की दुनिया ऐसी ही होने वाली है।

साइंस अवि‍श्‍वसनीय तरक्की कर रहा है। नैनो बॉयो तकनीक का जमाना आ चुका है। उसमें मानव शरीर के वो सारे अंग लैब में बनने लगेंगे जो अभी मुमकिन नहीं है।

बॉयोनिक आंख बन सकती है। रोबोटिक अंग लग सकते हैं। लैब में आर्टिफिशियल अंगों का पैदा करने का काम शुरू हो जाएगा। आप अपनी पसंद के अंग ले सकेंगे।

ये होगा फ्यूचर का ह्यूमन
पेंक्रियाज डि‍वाइस: ये किसी व्यक्ति के ब्लड शूगर और इंसुलिन को शरीर की जरूरतों के हिसाब से एडजस्ट करने में सक्षम होगा। संभावना है कि ये अगले दशक में बाजार में आ सकता है। इस बेहतर करने के लिए लगातार शोध चल रहे हैं। इस डिवाइस में दो खास तकनीक प्रणालियां होंगी, जो इंसुलिन पंप और लगातार ग्लुकोज की निगरानी करेंगी।

स्‍वाद देगी इलैक्ट्रानिक जीभ: टैक्सास विश्वविद्यालय उन लोगों के लिए इस तरह की जीभ विकसित कर रहा है, जो विभिन्न तरह के स्वादों को भूल जाते हैं। खासतौर पर इस तरह की डिवाइस का उपयोग उन कंपनियों में हो सकता है जो विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ बनाती हैं।

बनवा सकेंगे कृत्रिम अंग: नैनो और बायोटैक्नालाजी के विकास के साथ कोशिकीय और कृत्रिम अंग विकसित किये जा सकेंगे, जो न केवल शरीर के किसी भी हिस्से में फिट किये जा सकेंगे बल्कि हमारी शरीर के संवेदी प्रणाली के साथ असरदार ढंग से जुडक़र काम करेंगे।

मिलेगी बायोनिक आंखें: 2100 तक शायद ही दुनिया में कोई अंधा रहे। बॉयोनिक आंख मिलने लगेगीं। एक इलैक्ट्रानिक डिवाइस द्वारा आंख के लैंस को कृत्रिम रेटिना से जोड़ा जाएगा। आंख के लैंस के साथ कैमरा लगा होगा, जो संकेतों की प्रक्रिया के तहत रेटिना के साथ संपर्क साधेगा। इसे नर्व सिस्टम से जोड़ दिया जायेगा,  जिससे अंधा व्यक्ति भी देखने लगेगा।

आपकी मर्जी से उगेगी हड्डी: 1970 के दशक के बाद से, शोधकर्ताओं ने प्रोटीन युक्त अस्थि ऊतक की मदद से हड्डी के क्षतिग्रस्त हिस्सों को पेंच की मदद से मनवांछित तरीके से जोडऩे की तकनीक विकसित की। 2005 में शोधकर्ताओं ने विशेष प्रकार की हडडी के विकास के लिए विशेष डिजाइन कोशिकाओं और सक्षम प्रोटीन का उपयोग किया। यूसीबी-1 नामक प्रोटीन अब नई हड्डी के बढ़ाव को अपने तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं।
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