शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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भविष्य की सूचना देते ये पक्षी, जानिए 10 मान्यताएं

भविष्य की सूचना देते ये पक्षी, जानिए 10 मान्यताएं - birds explains future
दुनियाभर में हजारों-लाखों तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। हालांकि इनके पीछे का सच कोई नहीं जानता है। ये वैज्ञानिक शोध का विषय हो सकती हैं या इन्हें अंधविश्‍वास मानकर खारिज किया जा सकता है। हम धारणा शब्द के अर्थ पर न जाएं।
हालांकि ये विश्वास है या अंधविश्वास यह हम नहीं जानते लेकिन प्राचीनकाल से ही लोक परंपरा और स्थानीय लोगों की मान्यताओं पर आधारित इन बातों को आज भी लोग सही मानते हैं। इन विश्वासों को अनुभव पर आधारित माना जाता है। यहां प्रस्तुत हैं ऐसी 10 धारणाएं जो पक्षियों की हरकतों से जुड़ी हुई है।
 
अगले पन्ने पर पहली मान्यता...
 
तब आ सकता है भूकंप : ऐसी मान्यता है कि टिटहरी जिन दिन वृक्ष पर रहने लगे समझो कि धरती पर भूकंप आने वाला है। टिटहरी कभी भी वृक्ष पर अपना घर नहीं बनाती है। वह भूमि पर ही अंडे देती है और भूमि पर ही रहती है।
 
अगले पन्ने पर दूसरी मान्यता..
 
चिमगादढ़ का घर में घुसना : घर के भीतर चमगादड़ का प्रवेश करना आने वाली मौत को दर्शाता है। हालांकि कुछ का मानना है कि यह घर के खाली हो जाने की सूचना है। हालांकि कुछ का कहना है कि चमगादढ़ ऐसी बीमारियों को फैलाने के लिए जिम्मेदार है जिसका प्राचीन या मध्यकाल में इलाज संभीव नहीं था इसलिए चमगादड़ को मौत का दूत कहा जाने लगा।
 
अगले पन्ने पर तीसरी धारणा...
 
कौए की आवाज : प्रथम प्रहर में कौए की आवाज सुनाई दे तो अतिति आ सकता है। दूसरे पहर में व्यापार में लाभ हो सकता है। प्रथम प्रहर में दक्षिण दिशा में कौए की आवाज सुनाई देना अर्थ लाभ कराता है। मध्यान्ह में सुनाई दे तो पद की प्राप्ति होती है। लेकिन तीसरे और चौथे प्रहर की आवाज का मतलब यह कि खराब संदेश प्राप्त होगा।
 
किसी नगर या ग्राम में कौओं का झुंड इक्ट्ठा हो तो विवाद का कारण बनता है। घर पर बहुत सारे कौओं का बैठना मृत्यु तुल्य कष्ट देता है। चलते हुए सिर पर कौओं का स्पर्श करना भी स्वास्थ्य और आयु के लिए अच्छा नहीं होता। रात में कौवे बोले, दिन में गीदड़ बोले तो अवश्य ही कोई बड़ा उपद्रव होगा। 
 
अगले पन्ने पर चौथी मान्यता...
 
घर में चिढ़ियां द्वारा घोंसला बनाना : कहते हैं कि आपके घर में या बालकनी में चिढ़ियां अपना घोसला बनाकर रहने लगे तो समझों की आपके घर में खुशियों की शुरुआत हुई। हर तरह का संकट हट जाता है और घर के सभी सदस्यों का चित्त प्रसन्न रहने लगता है।
 
अगले पन्ने पर पांचवीं मान्यता...
 
वर्षा विचार : * यदि घड़े का पानी गरम प्रतीत हो, चिड़िया धूल में नहाए और चींटी अंडे लेकर चले तो शीघ्र ही भरपूर वर्षा होगी।
* तीतर का जोड़ा जब खाने लगता है और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में हो तो उस दिन वर्षा होगी।
*वर्षा ऋतु में कौओं के झुंड का बिना आवाज निकाले अपने घोसले में लौटना तेज वर्षा होने का संकेत देता है, तो इसके विपरीत दिन की घनघोर घटाओं और चमकती बिजली के बीच यदि कबूतरों के झुंड आकाश में ऊंची उड़ान भरने के स्थान पर चुपचाप वृक्षों पर बैठे रहें तो उन घटाओं और बिजली चमकने का कोई अर्थ नहीं होता अर्थात वे घटनाएं बिना पानी बरसाते ही गुजर जाती हैं।
 
अगले पन्ने पर छठी मान्यता...
 
उल्लू : यदि उल्लू की आवाज रात्रि के प्रथम प्रहर, द्वितिय और चतुर्थ प्रहर में सुनाई दे तो इच्छा के पूर्ण होने के संकेते हैं। इससे अर्थ लाभ, व्यापार में लाभ और राजदरबार आदि में लाभ मिलेगा। लेकिन एक ही दिशा में उल्लू का बार-बार आवाज होना, उसका दिखना, ज्यादा कल्याणकारी नहीं है। यह संकट की सूचना है या इसे आपकी सेहत खराब होने की सूचना भी माना जा सकता है। 
 
अगले पन्ने पर सातवीं मान्यता...
 
कोयल की आवाज : दिन के प्रथम प्रहर में कोयल की आवाज सुनाई दे तो नुकसान हो सकता है। इसलिए इस संदर्भ में जब भी ऐसी आवाज सुने तो वहां से हट जाने की हिदायत दी गई है।
 
अगले पन्ने पर आठवीं मान्यता..
 
बाज : बाज पक्षी दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा में दिखाई दे या आवाज सुनाई दे तो यह शुभ माना जाता है। ऐसा लगातार होने पर खेती के हाल अच्छे होंगे। परंतु अन्य समय में उसकी आवाज सुनाई दे तो राज्य से परेशानी होने की स्थिति बनती है।
 
अगले पन्ने पर नौवीं मान्यता...
 
मुर्गा : दिन के प्रथम प्रहर या दूसरे प्रहर में मुर्गे की आवाज सुनाई दे तो किसी पुराने व्यक्ति से मिलन होता है तथा सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। तीसरे और चैथे पहर में सुनाई दे तो चोट लगने तथा जलने का योग रहता है।
 
अगले पन्ने पर दसवीं मान्यता...
 
कबूतर की आवाज : दिन के प्रथम प्रहर में कबूतर की गुटर गूं सुनाई दे तो अर्थ लाभ, तीसरे प्रहर में विवाह या प्रेम-संबंध के होने की मान्यता है। परंतु चौथे प्रहर में सुने तो कार्य में हानि होने का योग रहता है। कबूतर का सिर के ऊपर से उड़ना जीवन के कष्टों को कम करता है। कबूतर का किसी स्थान पर रहना उस स्थान के रहने वालों को नुकसान पहुंचाता है।