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कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण

कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण - R. K. Laxman
प्रख्यात कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण का जन्म मैसूर में 24 अक्टूबर 1921 को हुआ था। उनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। लक्ष्मण के 7 भाई-बहन थे जिनमें उनके बड़े भाई प्रसिद्ध उपन्यासकार आरके नारायण थे।


 
लक्ष्मण को बचपन से ही चित्रकला में रुचि थी। वे ब्रिटेन के मशहूर कार्टूनिस्ट सर डेविड लाउ से काफी प्रभावित हुए। वे पढ़ना शुरू करने के पहले ही चित्र बनाने लगे थे। वे फर्श, दरवाजे, दीवारों आदि पर चित्र बनाते रहते थे।
 
उनके एक अध्यापक ने पीपल के पत्ते पर उनका बनाया चित्र देखने के बाद उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनकी सराहना की।
 
उन्होंने अपना करियर स्थानीय समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में अंशकालिक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। उन्होंने अपने बड़े की कहानियों को 'द हिन्दू' में चित्रित किया। उन्होंने अपना पहला पूर्णकालिक कार्य मुंबई में 'द फ्री प्रेस जर्नल' में राजनीतिक कार्टूनकार तथा 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में आरंभ किया था। 
 
देश के प्रमुख व्यंग्य-चित्रकार आरके लक्ष्मण ने आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूची से व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होंने समाज की विकृतियों, राजनीतिक विचारधारा की विषमताओं को भी व्यक्त किया। कई जाने-माने कार्टूनिस्टों ने उन्हें ऐसी उत्कृष्ट हस्ती बताया जिनकी अंगुली हमेशा देश की नब्ज पर रही। 


 
5 दशक से अधिक समय तक उनके प्रशंसकों ने हर सुबह उनके बनाए कार्टूनों में आम आदमी ‘कॉमन मैन’ की प्रतीक्षा की। उनका किरदार आम आदमी अपनी धोती, जैकेट, गांधी-चश्मा आदि से सहज ही पहचाना जा सकता था। उनके कार्टूनों से कई बार नेताओं को झेंप का सामना करना पड़ा। 
 
एक स्कूल शिक्षक के पुत्र लक्ष्मण देश के सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक कार्टूनिस्टों में से थे और उनके द्वारा गढ़े गए किरदार ‘कॉमन मैन’ के चरित्र ने उन्हें प्रसिद्धि दी। उन्हें पद्मभूषण, पद्मविभूषण, रेमन मैगसेसे पुरस्कार भी दिया गया था। 
 
अपने कार्टूनों में भारतीय नेताओं की विशिष्टताओं के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने वाले आरके लक्ष्मण ने लंबे समय तक आम आदमी की आवाज को व्यंग्यात्मक लहजे में व्यक्त किया और अपनी कृतियों से लाखों लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट ला दी।
 
वे मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि बीमारी से भी ग्रसित थे। डॉक्टरों के अनुसार वे कई महीनों से बिस्तर पर थे और उन्हें सहायक की जरूरत थी। दिल का दौरा पड़ने से प्रख्यात कार्टूनिस्ट का 26 जनवरी 2015 को पुणे में निधन हो गया था। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्ष्मण के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया था- ‘आरके लक्ष्मण, भारत आपकी कमी महसूस करेगा। हम आपके प्रति कृतज्ञ हैं कि आपने हमारे जीवन में जरूरी हास्य को जगह दी और हमारे चेहरों पर हमेशा मुस्कुराहट लाए।’