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Last Updated : शुक्रवार, 12 नवंबर 2021 (15:04 IST)

बिरसा मुंडा की जयंती मनेगी 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में, 14 नवंबर को कार्यक्रम का होगा आयोजन

बिरसा मुंडा की जयंती मनेगी 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में, 14 नवंबर को कार्यक्रम का होगा आयोजन - Birsa Munda's birth anniversary to be celebrated as 'Tribal Pride Day'
इंदौर। जनजाति विकास मंच 'जनजाति संगम' कार्य्रकम की जानकारी देते हुए जनजाति विकास मंच इंदौर के अध्यक्ष गोविंद भूरिया, संयोजक विक्रम मस्कुले, सहसंयोजक राधेश्याम जामले ने बताया कि संपूर्ण राष्ट्र इस समय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के हर हिस्से में स्वत्रंतता संग्राम के महानायकों के योगदान की स्मृतियों को पुन: स्मरण किया जा रहा है।

इसी कड़ी में भारत सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि इस वर्ष संपूर्ण राष्ट्र 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाएगा। यह उत्सव वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित होगा ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके बलिदानों के बारे में जान सकें।
 
आपको बता दें कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे जनजातीय समाज का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इसी 15 से 22 नवंबर तक 'आजादी के अमृत महोत्सव' के तहत पूरे देश में जनजातीय महोत्सव मनाया जाएगा जिसके तहत जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों के कृतित्व, उनकी कला और संस्कृति पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसी कड़ी में जनजाति विकास मंच, इंदौर द्वारा जनजाति संगम का आयोजन 14 नवंबर को दोपहर 12.30 बजे चिमनबाग में आयोजित किया जाएगा जिसमें बड़ी संख्या में राष्ट्रभक्त शामिल होंगे।
 
उल्लेखनीय है कि भगवान बिरसा मुंडा देश के इतिहास में ऐसे नायक थे जिन्होंने जनजाति समाज की दिशा और दशा बदलकर रख दी थी। उन्होंने हमारे वनवासी बंधुओं को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त होकर सम्मान से जीने के लिए प्रेरित किया था। भगवान बिरसा अंग्रेजों के खिलाफ 'उलगुलान' आंदोलन के लोकनायक थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी में हुआ था। अपने हक और स्वराज के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए वे महज 25 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। ऐसे स्वतंत्रता के महानायक को आज भी संपूर्ण समाज भगवान के तौर पर पूजता है।
 
इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा, महारानी दुर्गावती, महानायिका सिनगी दई, टंट्या मामा भील, सिद्धू कान्हूं, तिलका मांझी जैसे जनजातीय महानायकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित की जाएगी जिन्होंने राष्ट्र की अस्मिता के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर हर कठिनाई का सामना करना स्वीकार किया। उनके साहस और पराक्रम से आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगी।
 
सर्वजन 10-11 बजे अपने-अपने समूह में एकत्रित होंगे और 12.00 बजे चिमनबाग मैदान पर पहुंचेंगे, जहां पर प्रसिद्ध गायक आनंदीलाल भावेल (हम काका बाबा ना पोरिया के फेम) अपनी प्रस्तुति देंगे। 1.00 बजे मंच से उद्बोधन शुरू होगा जिसमें जनजाति विषयों पर विभिन्न वक्ता अपना मंतव्य रखेंगे।
 
अनिता मस्कुले (शिक्षिका), मदन वास्केल (प्रोफेसर), अजमेरसिंह भाबर (बीज प्रामाणिक अधिकारी), कैलाश अमलियार (प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), संचालन पूजा लाल निनामा व रेखा नागर (प्रोफेसर) व करमा नृत्य, भगोरिया नृत्य, गोंडी नृत्य की प्रस्तुतियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।
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