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Written By WD

आत्मा अमर है!

- संत आसाराम बापू

Sant Asaram Bapu | आत्मा अमर है!
ND

हमें ज्ञानयोग से बुद्घि मिलती है। सत्संग पाकर मनुष्य परम वैभव को प्राप्त करता है। सद्गुरु की कृपा से ही विकास संभव है। सत्संग ही मौत को मोक्ष में बदलने की कला सिखाता है, हार को जीत में बदलने की कला सिखाता है। कर्म को भक्ति में और भक्ति को कर्म में लगाओ। गलत संगति से विनाश होता है। संत संगति से सत्संग मिलता है।

गुरुमंत्र जीव और ईश्वर के बीच संबंध जोड़ने वाली कड़ी है। मंत्र दीक्षित साधक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। दीक्षा के बाद जीव को नवजीवन मिलता है। गुरु के सत्संग से आत्मसाक्षात्कार होता है। आत्मा अमर है। शरीर पहले भी नहीं था और आगे भी नहीं रहेगा।

सत्संग में आने से पुण्य मिलता है। दीक्षित साधक कभी दुखी नहीं होता। सामाजिक जीवन में सफलता हेतु किसी की निंदा न करें। साथ ही दूसरों के सुख से दुखी न हों। एक-दूसरे के प्रति निंदा, ईर्ष्या एवं द्वेष से बचें।

हमें अपने को भगवान का तथा भगवान को अपना मानना चाहिए। भगवान रक्षक, पोषक और परम दयालु है। सोने से पहले भगवान के नाम का जाप करना चाहिए।

गर्मी में दही खाना नुकसान देह है, लेकिन दही को मथकर छाछ या लस्सी बनाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इस मौसम में 15 से 20 दिनों तक बिना नमक का भोजन तथा नीम के पत्तों का सेवन करना चाहिए।