शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. इतिहास-संस्कृति
  3. भारतीय
  4. how acharya chanakya died
Written By अनिरुद्ध जोशी

ऐसे हुई थी आचार्य चाणक्य की मौत?

ऐसे हुई थी आचार्य चाणक्य की मौत? how acharya chanakya died - how acharya chanakya died
आचार्य चाणक्य की मौत एक रहस्य है। इतिहासकारों में इसको लेकर मतभेद है। हालांकि कुछ शोधकर्ता उनकी मृत्यु को लेकर तीन तरह की थ्योरी प्रस्तुत करते हैं। आओ जानते हैं कि आखिर आचार्य चाणक्य की मौत कैसे हुई थी।


* चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिंदुसार मौर्य और उनके पुत्र सम्राट अशोक थे। आचार्य चाणक्य ने तीनों का ही मार्ग दर्शन किया है। चाणक्य का जन्म ईसा पूर्व 371 में हुआ था जबकि उनकी मृत्यु  ईसा.पूर्व. 283 में हुई थी।
 
* चाणक्य का उल्लेख मुद्राराक्षस, बृहत्कथाकोश, वायुपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश, जैन पुराण आदि में मिलता है। बृहत्कथाकोश अनुसार चाणक्य की पत्नी का नाम यशोमती था।
 
* मुद्राराक्षस के अनुसार चाणक्य का असली नाम विष्णुगुप्त था। चाणक्य के पिता चणक ने उनका नाम कौटिल्य रखा था। चाणक्य के पिता चणक की मगध के राजा द्वारा राजद्रोह के अपराध में हत्या कर दी गई थी।
* चाणक्य ने तक्षशिला के विद्यालय में अपनी पढ़ाई पुरी की। कौटिल्य नाम से 'अर्थशास्त्र' एवं 'नीतिशास्त्र' लिखा। कहते हैं कि वात्स्यायन नाम से उन्होंने ही 'कामसुत्र' लिखा था।
 
 
*चाणक्य ने सम्राट पुरु के साथ मिलकर मगथ सम्राट धननंद के साम्राज्य के खिलाफ राजनीतिक समर्थन जुटाया और अंत में धननंद के नाश के बाद उन्होंने चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बनाया और खुद महामंत्री बने।
 
* चंद्रगुप्त के दरबार में ही मेगस्थनीज आया था जिसने 'इंडिका' नामक ग्रंथ लिखा। चाणक्य के कहने पर सिकंदर के सेनापति सेल्युकस की बेटी हेलेना से चंद्रगुप्त ने विवाह किया था।
 
 
* आचार्य चाणक्य की मौत के बारे में कई तरह की बातों का उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि वे अपने सभी कार्यों को पूरा करने के बाद एक दिन एक रथ पर सवार होकर मगध से दूर जंगलों में चले गए थे और उसके बाद वे कभी नहीं लौटे।
 
* कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उन्हें मगथ की ही रानी हेलेना ने जहर देकर मार दिया गया था। कुछ मानते हैं कि हेलेना ने उनकी हत्या करवा दी थी।
 
* कहते हैं कि बिंदुसार के मंत्री सुबंधु के षड़यंत्र के चलते सम्राट बिंदुसार के मन में यह संदेह उत्पन्न किया गया कि उनकी माता की मृत्यु का कारण चाणक्य थे। इस कारण धीरे-धीरे राजा और चाणक्य में दूरियां बढ़ती गई और एक दिन चाणक्य हमेशा के लिए महल छोड़कर चले गए। हालांकि बाद में बिंदुसार को इसका पछतावा हुआ।
 
 
* एक दूसरी कहानी के अनुसार बिंदुसार के मंत्री सुबंधु ने आचार्य को जिंदा जलाने की कोशिश की थी, जिसमें वे सफल भी हुए। हालांकि ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार चाणक्य ने खुद प्राण त्यागे थे या फिर वे किसी षड़यंत्र का शिकार हुए थे यह आज तक साफ नहीं हो पाया है।
ये भी पढ़ें
स्पर्म असरदार रखना है तो ये काम आज से ही बंद करें