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Written By WD

जब करें भवन का निर्माण

वास्तु के अनुसार भवन निर्माण

वास्तु
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मकान बनाते समय दक्षिण व पश्चिदिशा की अपेक्षा उत्तर व पश्चिम दिशकी अपेक्षा उत्तर व पूर्व में सर्वाधिक खुला स्थान रखें। सूर्य का प्रकाश भवको प्रकाशित करे या अधिक देर तक धूरहे, ऐसा होना आवश्यक है

भूमि पर निर्माण कार्य का प्रारंभ सर्वप्रथम पश्चिम या दक्षिण दिशा में करें, फिर अन्य दिशाओं में आगे बढें। दक्षिव पश्चिम में मोटी दीवारें होनी चाहिएँ

मकान में खुली छत पूर्व तथा उत्तदिशा में रखनी चाहिए। जब दो मंजिलभवन निर्माण की योजना बना रहे हों, ध्यान में रखें कि दक्षिण व पश्चिम कअपेक्षा पूर्व व उत्तर की ऊँचाई कम होनचाहिए

मकान में उत्तर तथा पूर्व दिशा मेसर्वाधिक दरवाजे तथा खिड़कियों कलगवाएँ। दरवाजे तथा खिड़कियों कसंख्या समरूप में रखें- जैसे 2, 4, 6, 8, 10 आदि।

विषम संख्याएँ होती हैं- 1, 3, 5, 7, 9 आदि, उनसे बचें। यह भी ध्यामें रखें कि संख्या के अन्त में शून्य न होइसलिए 10 से भी बचें

मकान में मुख्य द्वार एक ही होता हैमुख्य द्वार में मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक या कलश या क्रॉस बनवाएँ

मकान में रसोईघर आग्नेय कोण मेबनवाएँ। यह अत्यंत शुभ व सर्वाधिश्रेष्ठ तथा उत्तम है