मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Satudi Teej
Written By

14 अगस्त 2022 रविवार को है सातुड़ी तीज, कैसे करें पूजा, सत्तू के स्वादिष्ट भोग और विधि

14 अगस्त 2022 रविवार को है सातुड़ी तीज, कैसे करें पूजा, सत्तू के स्वादिष्ट भोग और विधि - Satudi Teej
Satudi Teej 2022: भाद्रपद यानी भादो मास के कृष्‍ण पक्ष की तीज को सातुड़ी तीज और कजली या कजरी तीज कहते हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा पाठ करती हैं। मान्यताके अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 14 अगस्त 2022 रविवार को मनाया जाएगा।
 
क्या करते हैं इस दिन : इस दिन पूरे दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास किया जाता है और सुबह सूर्य उदय से पहले धमोली की जाती है इसमें सुबह मिठाई, फल आदि का नाश्ता किया जाता है। 
 
पूजन सामग्री : एक छोटा सातू का लडडू, नीमड़ी, दीपक, केला, अमरुद या सेब, ककड़ी, दूध मिश्रित जल, कच्चा दूध, नीबू, मोती की लड़, नथ के मोती, पूजा की थाली, जल कलश आदि।
 
पूजन की तैयारी : मिट्‍टी व गोबर से दीवार के सहारे एक छोटा-सा तालाब बनाकर (घी, गुड़ से पाल बांधकर) नीम वृक्ष की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध मिश्रित जलभर देते हैं और किनारे पर एक दिया जलाकर रख देते हैं। नीबू, ककड़ी, केला, सेब, सातु, रोली, मौली, अक्षत आदि थाली में रख लें। एक छोटे लोटे में कच्चा दूध लें।
 
सातुड़ी तीज पर कैसे करें पूजन : 
 
1. सुबह नहा धोकर महिलाएं सोलह बार झूला झूलती हैं, उसके बाद ही पानी पीती है।
 
2. सायंकाल के बाद महिलाएं सोलह श्रृंगार कर तीज माता अथवा नीमड़ी माता की पूजा करती हैं।
 
3. सबसे पहले तीज माता को जल के छींटे दें। रोली के छींटे दें व चावल चढ़ाएं। 
 
4. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली व काजल की तेरह-तेरह बिंदिया अपनी अंगुली से लगाएं।
5. मेहंदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगानी चाहिए और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए। 
 
6. नीमड़ी माता को मौली चढाएं। मेहंदी, काजल और वस्त्र (ओढ़नी) चढ़ाएं।
 
7. दीवार पर लगाई बिंदियों पर भी मेहंदी की सहायता से लच्छा चिपका दें। नीमड़ी को कोई फल, सातु और दक्षिणा चढ़ाएं।
 
8. पूजा के कलश पर रोली से तिलक करें और लच्छा बांधें। 
 
9. किनारे रखे दीपक के प्रकाश में नीबू, ककड़ी, मोती की लड़, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला, दीपक की लौ, सातु का लड्‍डू आदि का प्रतिबिंब देखें और दिखाई देने पर इस प्रकार बोलना चाहिए 'तलाई में नींबू दीखे, दीखे जैसा ही टूटे' इसी तरह बाकि सभी वस्तुओं के लिए एक-एक करके बोलना चाहिए। 
 
10. इस तरह पूजन करने के बाद सातुड़ी तीज माता की कहानी सुननी चाहिए, नीमड़ी माता की कहानी सुननी चाहिए, गणेश जी की कहानी व लपसी तपसी की कहानी सुननी चाहिए। रात को चंद्र उदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।