कविता : हिन्दी हमारी भाषा
लोगो में जगी यह आशा हो,
सब की यही अभिलाषा हो ।
तब हिन्दी का उत्थान होगा,
सब में जगी जिज्ञासा हो ।।
नेता अफसर फरमाए दार सब,
प्राइमरी में बच्चे पढ़ाएं ।
हिन्दुस्तान की भेषभूषा को,
सारे मिल के आगे बढ़ाएं।।
तब जय-जयकार कुल हिंदी की होगी,
हिन्दी का दफ्तर में भाषा हो।
हिन्दी भाषी को मिले नौकरी,
सब हिन्दी की तारीफ करें ।।
संग में मिलकर सभी चलें,
भेदभाव न कभी करें।
हिन्दुस्तान तब बढ़ेगा आगे,
ऐसा अलौकिक राजा हो।।