हिन्दी कविता : मुस्कराने को क्या चाहिए...
मुस्कराने को क्या चाहिए
गुनगुनाने को क्या चाहिए
गीत गाने को क्या चाहिए
तो ये सुन लो मुझे प्यार को
एक सुन्दर गजल चाहिए।
न मकान चाहिए
न दुकान चाहिए
न घर चाहिए
न महल चाहिए।
तेरे दिल में
थोड़ी सी जगह
और दो गज
कफन चाहिए।
मुझको तेरी जुल्फों
के साये में
एक सुन्दर चमन चाहिए
तेरी जुल्फों के साये तले
दो पल का सुकूं चाहिए
बज सके जो मेरे दिल में
उस गाने की धुन चाहिए।