हिन्दी साहित्य : देश नया हो जाने दो...
- मन्जू श्रीवास्तव
देश नया हो जाने दो...
ये तूफानों का वेग नहीं
उन्मादी परिवेश नहीं
ये धरती की अंगडाई है
धानी चूनर लहराई है
जो होता है हो जाने दो
सच की किरणों को आने दो
कब तक अंधियारे मचलेंगे
एक दीपक तो जल जाने दो।