प्यार का एहसास
लक्ष्मीनारायण प्रधान 'लक्खु'
प्यार का एहसासजिंदगी मेंएक स्तर पर ऐसा भी आता हैजबसब कुछ होकर भीएक अजीब-सी कमीमहसूस होती हैइतने सारे लोगकुछ अपनेकुछ अनजान-पराएलेकिन जब कभीआकस्मिकदिल का प्यारपराए कोअपने से भी ज्यादाअपना बना देता हैऔर मन की आँखेंएक मूर्तरूप औरएक अजीब-सी कमीकी पूर्ति कर देती हैऐसी खुशी भर देती हैजो सर्वत्र खुशियों से भीप्रिय होती हैतबदूर-दूर तक की हरियालीक्षितिज...पहाड़...झरने...नदियाँ...वृक्षों की छाँव औरगर्मी की रात मेंस्वच्छ अनंतविशाल आकाशऔर तारे...बहुत अच्छे लगते हैं...!!पास कोई नहींहोता हैफिर भीऐसा लगता हैकोई पास है...!!