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Written By WD

गुलजार की 'ग्रीन पोयम्स' का विमोचन 5 जून को

गुलजार की ''ग्रीन पोयम्स'' का विमोचन 5 जून को -
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इन जंगली पेड़ों की शाखों पर : कभी-कभी कुछ शब्द फूटते हैं : लेकिन पूरी कविता कभी नहीं।

कवि और गीतकार गुलजार ने चीजों को देखने के अपने अनोखे नजरिए और मुआवरों तथा शब्दों से खेलने के अपने बांकपन को मिलाकर अपनी कविताओं का द्विभाषी संग्रह पेश किया है जो प्रकृति के साथ उनकी करीबी को दर्शाता है।

गुलजार की किताब ‘ग्रीन पोयम्स’ का लोकार्पण 5 जून को पटना में होगा। किताब के प्रकाशक पेंगुअन इंडिया के बयान के अनुसार लोकार्पण समारोह का आयोजन बिहार के पर्यावरण और वन विभाग के सहयोग से पटना साहित्य समारोह द्वारा किया गया है।

गुलजार ने इस किताब में सारी कायनात को कुदरत से मिली नेमतों नदियों, जंगलों, पहाड़ों, बर्फ, बारिश, बादल, आकाश, धरती और अंतरिक्ष को अपने शब्दों में ढाला है। किताब में वह अपनी पहचान के एक पेड़ और एक उजाड़ से कुएं के बारे में भी बताते हैं। इसके अलावा कुल्लू, मनाली, चंबा और थिंपू को भी उन्होंने अपनी लेखनी का हिस्सा बनाया है।

कुदरत के नजारों की तरह गुलजार की कविताएं भी एक झलक की तरह छोटी और चमकदार हैं। चंद शब्दों से एक ऐसी छवि उकेरी गई है, जो एक गजब के विचार को जन्म देती है, ‘मैं जब जंगल से गुजरता हूं तो लगता है जैसे मेरे बुजुर्ग मेरे आसपास हैं..’ किताब का अनुवाद सेवानिवृत राजनयिक पवन के वर्मा द्वारा किया गया है। (भाषा)