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Written By WD

कुछ तो लोग कहेंगे... एक पत्रकार का सफर

कुछ तो लोग कहेंगे... एक पत्रकार का सफर -
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कुछ तो लोग कहेंगे...पत्रकार और संस्कृतिकर्मी संजय द्विवेदी पर एक एकाग्र संकलन है। इसमें पत्रकार संजय द्विवेदी के चरित्र के भिन्न पहलुओं को उनके साथी पत्रकारों और लेखकों ने उजागर किया है। कहीं वे समाजसेवी हैं तो कहीं पत्रकार। कहीं वे लीडर हैं तो कहीं चिंतक, तो कहीं जिंदादिल संजय।

कई वरिष्ठ पत्रकारों, धर्माचार्यों, लेखकों, कलाकारों के साथ ‍संजय द्विवेदी के चित्रों से सजी इस किताब में 48 लोगों के उनके बारे में विचार हैं जिसमें से 6 अंग्रेजी में हैं। इसके बाद संजय द्विवेदी का आत्मकथ्‍य है। आत्मकथ्‍य के बाद उनका चंदना घटक द्वारा लिया गया साक्षात्कार है और अंत में मूल्यांकन है।

इस किताब का संपादन यशवंत गोहिल और अंकुर विजयवर्गीय ने किया है। मीडिया विमर्श प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब के कवर पर संजय द्विवेदी का फोटो है तो ठीक उसके पीछे श्रीकांत आप्टे द्वारा बनाया गया उनका कोलॉज पोर्ट्रेट। इसी तरह अंतिम कवर पृष्ठ पर सुशांत पंडा द्वारा बनाया गया उनका कैरिकेचर है। अंतिम कवर पृष्ठ पर ही संपादक सृजनगाथा डॉट कॉम के जयप्रकाश मानस द्वारा किताब पर लिखी एक टिप्पणी है।

संजय का जन्म उत्तरप्रदेश में हुआ। 14 साल से सक्रिय पत्रिकारिता करते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मुंबई आदि जगहों पर दैनिक भास्कर, स्वदेश, हरिभूमि सहित टीवी चैनलों में भी काम किया। इस दौरान उनकी 7 पुस्तकें प्रकाशित हुईं जिसमें उनके द्वारा लिखे गए लेखों का संग्रह है। इसके अलावा उन्होंने लगभग इतनी ही पुस्तकें संपादित की हैं। उन्हें अपने कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

इतनी कम उम्र में किसी व्यक्ति पर किताब का आना लोगों के मन में सवाल तो उठाएगा ही जिसका जवाब उनकी किताब के टाइटल से ही मिल जाएगा।

पुस्तक : कुछ तो लोग कहेंगे...
संपादक : यशवंत गोहिल और अंकुर विजयवर्गीय
पृष्ठ : 256
मूल्य : 200
प्रकाशक : मीडिया विमर्श, एमआईजी-37, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी कचना, रायपुर (छत्तीसगढ़) 492001