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Last Updated : सोमवार, 31 जनवरी 2022 (08:56 IST)

कोविड के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार के निर्देश, जीवन घातक है स्टेरॉयड

कोविड के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर केंद्र सरकार के निर्देश, जीवन घातक है स्टेरॉयड - central government new guideline on use of steroid and treatment
कोविड से बचाव के लिए हर जरूर कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि इसकी चपेट में आने से बचने के लिए कोविड नियमों का पालन करना जरूरी है। लेकिन जो कोविड की चपेट में आ रहे हैं उन्‍हें कोविड के इलाज के दौरान क्‍या सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि इलाज के दौरान दी जाने वाली स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स काफी खतरनाक साबित हुए है। तो किस तरह स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाए इसे संदर्भ में केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी की है।

नई गाइडलाइंस में डॉक्टर्स को सलाह दी गई है कि वे मरीज को स्टेरॉयड्स देने से बचें। इससे ब्लैक फंगस जैसे दूसरे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। गौरतलब है कि फिर से ब्लैक फंगस का केस आया है। कुछ दिनों पहले ही नेशनल कोविड टास्क फोर्स के चीफ डॉ वीके पॉल ने दूसरी लहर में इन ड्रग्स के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल को लेकर पछतावा जाहिर किया था। नई गाइडलाइन के अनुसार, अगर स्टेरॉयड्स बहुत जल्दी और ज्यादा मात्रा में या फिर काफी लंबे समय तक दिए जाते है, तो इससे मरीज गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।

जानें क्‍या है स्टेरॉयड -

यह एक प्रकार का केमिकल होता है, जो बॉडी में बनता है। इसे सिंथेटिक रूप से भी तैयार किया जाता है, इसका इस्तेमाल उपचार के लिए जरूर किया जाता है। लेकिन सिर्फ डॉक्टर की सलाह से। कोविड काल से पहले जो यह दवा लेते थे वहीं इसके बारे में जानते थे। और यह बाजार में आसानी से उपलब्ध थी।

स्टेरॉयड का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके से किया जाता है। पुरुषों में हार्मोन बढ़ाने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने, मेटाबॉलिज्‍म और इम्‍युनिटी को दुरुस्त करने के लिए किया जाता है। साथ ही मांसपेशियों और हड्डियों में मजबूती बढ़ाने के साथ ही दर्द में राहत देने के लिए किया जाता है।

एक्‍सपर्ट से मुताबिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल हमेशा डॉक्टर की सलाह से करें। इसे कब शुरू करना या स्टेरॉयड कब बंद करना है। ये भी डॉक्टर की सलाह से ही करें। क्‍योंकि इसे अचानक बंद करने से इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है।

इसके इस्तेमाल से हार्ट अटैक, लिवर की समस्या, ट्यूमर, हड्डियां को नुकसान पहुंचना, शरीर का विकास नहीं होना, बाल कम होना,अवसाद होना आदि बीमारियां हो सकती है।

दूसरी लहर में स्‍टेरॉयड से मचा था आतंक-

एक तरफ जहां कोविड से ठीक होने के लिए स्टेरॉयड दी जा रही थी लेकिन इसके इस्तेमाल, ब्लैक फंगस का शिकार हुए थे तो कई लोगों की जान चली गई थी। हाई शुगर, हार्ट की समस्या, चलने-उठने बैठने में शिकायत, दैनिक कार्य करने में शिकायत, हड्डियों में दर्द रहने जैसे दर्द झेलना पड़े थे।

सरकार की नई गाइडलाइन

- अगर किसी मरीज को 2-3 हफ्ते तक खांसी बरकरार रहती है, तो उसे टीबी या दूसरी बीमारियों का टेस्ट कराना चाहिए।

- सांस लेने में दिक्कत है, पर सांस नहीं फूल रही और ऑक्सीजन लेवल नहीं घट रहा है, तो ऐसे मरीजों को हल्के संक्रमण की श्रेणी में रखा गया है। इन्हें होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है।

- हल्के कोविड संक्रमण से जूझ रहे ऐसे मरीज, उन्हें 5 दिन से ज्यादा समय तक सांस लेने में दिक्कत हो, काफी ज्यादा खांसी और बुखार हो, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

- ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत हो और उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 90-93 के बीच हो, उन्हें अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाना चाहिए। इन्हें सामान्य मरीजों की श्रेणी में रखा गया है।

- रेस्पिरेटरी रेट अगर प्रति मिनट 30 से ऊपर है, मरीज सांस नहीं ले पा रहा है और ऑक्सीजन लेवल 90% से नीचे है, तो ऐसे मरीज गंभीर माने जाएंगे। इन्हें तुरंत ICU में भर्ती किया जाना चाहिए और रेस्पिरेटरी सपोर्ट दिया जाना चाहिए।

- जिन मरीजों की सांस धीमी चल रही हो और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हो, उन्हें हेलमेट या फेस मास्क द्वारा गैर-आक्रामक वेंटिलेशन (NIV) दिया जाना चाहिए।

- मामूली से लेकर गंभीर लक्षण होने पर रेमडेसिवीर के इमरजेंसी या ‘ऑफ लेबल’इस्तेमाल को मंजूरी दी गयी है। इसका उपयोग केवल उन मरीजों पर होगा जिन्हें लक्षण आने के 10 दिन के अंदर ‘रेनल’या ‘हेप्टिक डिस्फंक्शन’ की शिकायत न हुई हो।

- टोसिलिजुमैब ड्रग का इस्तेमाल उन पर किया जा सकता है, जिन मरीजों की स्थिति में स्टेरॉयड के उपयोग के बावजूद सुधार नहीं हो रहा है। उनमें कोई सक्रिय बैक्टीरिया, फंगल या ट्युबरकुलर संक्रमण नहीं होने चाहिए।

- 60 साल की उम्र या उससे ऊपर के वो मरीज, जिन्हें दिल की बीमारी, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, एचआईवी, कोरोनरी धमनी रोग, टीबी, फेफड़ों, लिवर, किडनी की बीमारियां, मोटापा आदि हैं, उन्हें कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है।