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प्यार न होगा...
जग रूठे तो बात न कोईतुम रूठे तो प्यार न होगा।मणियों में तुम ही तो कौस्तुभतारों में तुम ही तो चन्दा,नदियों में तुम ही तो गंगागन्धों में तुम ही निशिगन्धा।दीपक में जैसे लौ-बाती,तुम प्राणों के संग-सघाती,तन बिछुड़े तो बात न कोईतुम बिछुड़े सिंगार न होगा।जग रूठे तो बात न कोईतुम रूठे तो प्यार न होगा।व्योम नहीं यह, भाल तुम्हाराधरा नहीं है धूल चरण की,सृष्टि नहीं यह लीला केवलसृजन-प्रलय की प्रलय-सृजन की,तन का, मन का, जग जीवन कातुमसे ही नाता इन-उन का,हम न रहे तो बात न कोईतुम न रहे संसार न होगा।जग रूठे तो बात न कोईतुम रूठे तो प्यार न होगा।पूनम गौर कपोल विराजेअधर हँसें उर अरुणीली,कुन्तल-लट से लिपटी संध्याश्यामा अंजन-रेख नशीली,सारे सागर, दिशि भू-अम्बरतुमसे ही द्युतिमान चराचररवि न उगे तो बात न कोईतुम न उगे उजियार न होगा।जग रूठे तो बात न कोईतुम रूठे तो प्यार न होगा।तुम बोले संगीत जी गयातुम चुप हुई चुप वाणी,तुम विहँसे मधुमास हँस उठातुम रोये रो उठा हिमानी,जन्मविरह-दिन, मरणमिलन-क्षण,तुम ही दोनों पर्व चिरन्तन,दृग न दिखें तो बात न कोईतुम न दिखे दरबार न होगा।जग रूठे तो बात न कोईतुम रूठे तो प्यार न होगा।तुमसे लागी प्रीति, बिना-भाँवर दुलहिन हो गई सुहागिन,तुमसे हुआ बिछोह, मृत्तिका-की बन्दिन हो गई अनादिन,निपट-बिचारी, निपट-दुखारीबिना तुम्हारे राजकुमारी,मुक्ति न मिले, न कोई चिन्तातुम न मिले भव पार न होगा।जग रूठे तो बात न कोई,तुम रूठे तो प्यार न होगा।