'आप' एक फेसबुक पार्टी है-अवस्थी नायर
-वी. हरिकृष्णन
आम आदमी पार्टी (आप) का दावा है कि वह आम आदमी के अधिकारों के लिए संघर्षरत है, लेकिन पार्टी की कथनी और करनी में भी लोगों को अंतर नजर आने लगा है। अब तो आरोप भी लगने लगे हैं। एक ऐसा ही आरोप अलपुझा लोकसभा सीट को लेकर अवस्थी नायर ने लगाया है।अवस्थी एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो कि पिछले छह वर्षों से गरीब, दलितों और अनाथ बच्चों की सेवा में जुटी हुई हैं। उनका नाम आप की ओर से अलपुझा लोकसभा सीट के लिए तय किया गया था, लेकिन उन्होंने अंतिम क्षणों में प्रत्याशी बनने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें बिना उनकी अनुमति से कोल्लम का प्रत्याशी बना दिया गया था। प्रस्तुत हैं अवस्थी से वेबदुनिया की खास बातचीत... -
आप की ओर आकर्षित होने का कोई विशेष कारण? *मैं एक राजनीतिज्ञ नहीं हूं। एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं जो कि मानव अधिकारों, सड़कों पर रहने वाले लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए संघर्ष करती है। मैंने हमेशा ही महसूस किया है कि हम अपने संघर्षों को और अधिक सार्थक बना सकते हैं अगर हममें सामाजिक जागरूकता हो, या हमारे साथ सामाजिक सहयोग हो। आप का दावा है कि वह आम लोगों के अधिकारों के लिए है, मैंने सोचा कि इस तरीके से मेरे प्रयासों को अधिक समर्थन मिल सकेगा और मैं बाधाओं, मुसीबतों से पार पा सकती हूं। इसलिए जब पार्टी ने मुझसे सम्पर्क किया तो मैंने इसे एक विकल्प के तौर पर अपनाया। आप ने विभिन्न कॉलेजों में सर्वे किया था कि किसे लोकसभा चुनाव के लिए नामांकित किया जाए। ऐसा लगता है कि अलपुझा के छात्रों ने मेरा नाम आगे बढ़ाया तो मुझे आप से संदेश मिला। प्रारंभिक सूचना के बाद मैंने स्क्रीनिंग टेस्ट पास किया और बाद में जब मैं त्रिवेंद्रम पार्टी ऑफिस में पहुंची तो मैं निराश हुई और मुझे आप के पिछले दरवाजों के इरादों की भनक लगी। नेताओं और समर्थकों के बीच संवाद नहीं था और केन्द्रीय समिति उन्हें एकजुट नहीं कर सकी। जहां तक मैं समझी हूं, केरल में आप का अर्थ मनोज पद्मनाभन और केपी रतीश हैं और बाकी छोटे-मोटे मोहरे हैं। -
आप में शामिल होने के लिए आपको किसने बुलाया था?*कोल्लम के कार्यकारी सदस्य राजकृष्ण। कुल मिलाकर कोल्लम में आप के आठ सदस्य हैं।
'आप' नहीं समझती लोगों के विचारों का मूल्य...पढ़ें अगले पेज पर....
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अलपुझा की बजाय कोल्लम से नामांकन करवाने की क्या योजना थी?*आठ मार्च को आप ने अलपुझा से मेरी उम्मीदवारी तय की और हमने प्रचार शुरू कर दिया था, लेकिन 10 मार्च को त्रिवेंद्रम में हुई एक बैठक के दौरान तय किया गया कि उन्होंने मुझे कोल्लम से उम्मीदवार बना दिया है। यह आश्चर्यचकित करने वाली घोषणा थी। उन्होंने एक झूठा बहाना बनाया कि अलपुझा विद्रोहियों का गढ़ है, इसलिए में कोल्लम के लिए सबसे ठीक रहूंगी।मैं नहीं कहती कि राजनीति दलों में इस तरह के व्यवहार अप्रत्याशित हैं, लेकिन आप की ओर से कुछ खूबियों का दावा किया जाता है, यह विचित्र और अप्रत्याशित बात थी। इसके बाद तो जिला समिति सदस्यों के बीच विवाद पैदा हो गया और मैं पूरी तरह से स्तब्ध रह गई। इस ड्रामे का समापन इस तरह से हुआ कि मुझे पार्टी की अधिकृत वेबसाइट पर कोल्लम से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। मैं इन बातों से नाराज हो गई और सोचती हूं कि वे न तो मुझे या मेरे विचारों का मूल्य समझते हैं। -
आपने कोल्लम के लिए प्रस्ताव को स्वीकार क्यों नहीं किया?*मैंने अपने को कोल्लम के राजनीतिक वातावरण में जोड़ना ठीक नहीं समझा और कुछ आरोपों पर आप के रुख को मैं पचा नहीं सकी। इसके अलावा, मुझे पता लग गया था कि केरल में आप महत्वाकांक्षी विचारों और खयालों वाले लोगों का एक गुट है। मुझे अलपुझा से हट जाने के लिए बहुत सारे फोन काल्स आए और मुझे पैसों की भी पेशकश की गई। इन संशययुक्त कदमों से मैं पूरी तरह क्रोधित हो गई थी। मैंने आप नेतृत्व से कहा कि वे मुझे नामांकन समेत सभी चीजों से बाहर का रास्ता दिखा दें। मुझे एक समुचित जवाब देने की बजाय उन्होंने (पार्टी के लोगों ने) फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर मेरी उम्मीदवारी को लेकर कुछ झूठी रिपोर्टें प्रकाशित कीं। मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रशांत भूषण ने मेरी उम्मीदवारी को ही अनदेखा कर दिया। हालांकि मैं सभी सोशल नेटवर्क्स पर सक्रिय हूं लेकिन मैंने कभी भी अपनी आप की उम्मीदवारी का जिक्र नहीं किया। पर इस सभी लोगों ने मिलकर मुझे विवश कर दिया कि मैं फेसबुक के जरिए हालात का बयान करूं। -
क्या आपसे आप के अलावा किसी और दल ने सम्पर्क किया था? *नहीं, किसी ने भी नहीं। कुछ नेताओं की कठपुतली है आप...पढ़ें अगले पेज पर...