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Ganesh chaturthi muhurat : श्री गणेश स्थापना 2020 मुहूर्त और सरल पूजा विधि

Ganesh chaturthi muhurat : श्री गणेश स्थापना 2020 मुहूर्त और सरल पूजा विधि - Ganesh sthapana muhurat
Shri Ganesh Chaturthi


श्रीगणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है। श्रीगणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग 10 दिनों तक चलता है इसलिए इसे 'गणेशोत्सव' भी कहा जाता है। उत्तर भारत में श्रीगणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह 22 अगस्त 2020 को है... 
 
इस वर्ष कोरोना काल में पंडाल लगाने पर रोक लगी है इसलिए श्रद्धालु गणेशजी के इस महोत्सव को अपने अपने घरों मे मनाएंगे।
 
प्रत्येक चंद्र महीने में 2 चतुर्थी तिथियां होती हैं। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश से संबंधित होती है। शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या के बाद चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
 
भाद्रपद के दौरान विनायक चतुर्थी, गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी को हर साल पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
 
शुभ मुहूर्त :-
 
इस दिन को सनातन परंपरा में गणेश चतुर्थी के रूप में हर साल मनाया जाता है। इस साल यह पावन तिथि शुक्रवार, 21 अगस्त 2020 को रात्रि 11.02 बजे से प्रारंभ होकर शनिवार, 22 अगस्त 2020 को शाम 7.57 बजे तक रहेगी।
पूजा का समय- 11 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर को 01 बजकर 42 मिनट तक
गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि:-
 
सबसे पहले एक ईशान कोण में स्वच्छ जगह पर रंगोली डाली जाती है जिसे चौक पुरना कहते हैं।
 
उसके ऊपर पाटा अथवा चौकी रखकर उस पर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाते हैं।
 
उस कपड़े पर केले के पत्ते को रखकर उस पर मूर्ति की स्थापना की जाती है।
 
इसके साथ एक पान पर सवा रुपया रख पूजा की सुपारी रखी जाती है।
 
कलश भी रखा जाता है। कलश के मुख पर लाल धागा या मौली बांधी जाती है। यह कलश पूरे 10 दिन तक ऐसे ही रखा जाता है। 10वें दिन इस पर रखे नारियल को फोड़कर प्रसाद खाया जाता है।
 
स्थापना वाले दिन सबसे पहले कलश की पूजा की जाती है। जल, कुमकुम व चावल चढ़ाकर पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
 
कलश के बाद गणेश देवता की पूजा की जाती है। उन्हें भी जल चढ़ाकर वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर कुमकुम एवं चावल चढ़ाकर पुष्प समर्पित किए जाते हैं।
 
गणेशजी को मुख्य रूप से दूर्वा चढ़ाई जाती है।
 
इसके बाद भोग लगाया जाता है। गणेशजी को मोदक प्रिय होते हैं।
 
परिवार के साथ आरती की जाती है और इसके बाद प्रसाद वितरित किया जाता है।
 
गणेशजी की उपासना में गणेश अथर्वशीर्ष का बहुत अधिक महत्व है। इसे रोजाना पढ़ा जाता है। इससे बुद्धि का विकास होता है। यह मुख्य रूप से शांति पाठ है।

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