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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 30 दिसंबर 2020 (10:14 IST)

किसानों और सरकार के अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहने से सातवें दौर की बातचीत भी होगी फेल ?

किसानों और सरकार के अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहने से सातवें दौर की बातचीत भी होगी फेल ? - Today talks between farmers and the seventh round of government
नए कृषि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर आज किसानों के दिल्ली आंदोलन का 35वां दिन है। किसान कड़ाके की ठंड में सड़कों पर डटे हुए है। वहीं आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच आज सातवें दौर की बातचीत होने जा रही है। दोपहर दो बजे होने वाली बातचीत में संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 40 किसान संगठन शामिल होंगे। 8 दिसंबर को हुई छठें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों के अपने-अपने पर एजेंडे पर अड़े‌ रहने के कारण उसके बाद बातचीत‌‌ में आया डेडलॉक अब 22 दिनों बाद डॉयलॉग में बदलने जा रहा है।

किसानों ने बातचीत से  पहले फिर सरकार को पत्र लिखकर साफ किया है कि बातचीत उन्हीं चार एजेंडे पर होगी जो किसानों ने तय किए हैं। किसान संगठन तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानूनी बनाने संबंधी मांग पर गतिरोध को जारी रखे हुए हैं। 

-किसानों का बातचीत का एजेंडा-
1-तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द/निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि  (Modalities)
2-सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान
3-"राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020" में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए ज़रूरी हैं।
4-किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में ज़रूरी बदलाव।
 
सरकार और किसानों की बीच सांतवें दौर की बातचीत से पहले स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और किसान आंदोलन के‌ प्रमुख‌ नेता योगेंद्र ‌यादव कहते है कि सरकार किसान आंदोलन के हल करने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री ‌नरेंद्र मोदी और मंत्रियों के बयान देखकर पता चलता है कि‌ न सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए नहीं तैयार है और न ही MSP की गारंटी देना चाहती है।

योगेंद्र यादव कहते हैं कि सरकार अभी पूरे मुद्दे पर किसानों को घुमाना चाहती है। अगर बातचीत तीनों कानून को रद्द करने की प्रक्रिया और एमएसपी की गारंटी देने पर होती है तो बहुत अच्छी बात है। वह कहते हैं कि अभी किसानों का लंबा संघर्ष बाकी और इसके लिए किसान आंदोलन ने भी मन बना लिया है।

वहीं दूसरी ओर सरकार की उम्मीद है कि आज होने वाली बैठक मेंं पूरे मुद्दे का कोई सकारात्मक नतीजा निकले। इसके लिए मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच मैराथन बैठक हुई। 

वहीं सातवें दौर की बातचीत से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि किसान कम से कम 2 साल इस कानून को उपयाग करके देखे कि ये कानून कितना उपयोगी है फिर अगर उनको लगता है कि कानून में संशोधन करने की जरूरत है तो हमारी सरकार संशोधन करने के लिए तैयार है और आज भी किसान बातचीत करे उन्हें लगता है कि इसमें संशोधन करने की आवश्यकता है तो हम तैयार हैं। 
 
राजनाथ सिंह ने कहा कि कृषि संबंधी तीनों कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही बनाएं गए हैं। इस तीनों कानूनों के माध्यम से हमने पूरी कोशिश की है कि किसानों की आमदनी दो-तीन गुना बढ़े। उन्होंने आगे कहा कि मुझे पूरा विश्वास है किसानों से हो रही बातचीत में इसका समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा कि मैं किसानों से विनती करता हूं मैंने इस कानूनों को देखा है,मैं भी कृषि मंत्री रह चुका हूं इसलिए मैं कहता हूं कि ये कानून किसानों के हित में है।