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Last Updated : मंगलवार, 22 दिसंबर 2020 (15:22 IST)

Live Updates : सिंघू बॉर्डर पर किसानों की बैठक, क्या सरकार से बातचीत के लिए होंगे तैयार...

Live Updates : सिंघू बॉर्डर पर किसानों की बैठक, क्या सरकार से बातचीत के लिए होंगे तैयार... - farmers Protest Live Updates : 22 december
नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में मंगलवार को 27वें दिन भी दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी। आंदोलन तेज करते हुए सोमवार से किसानों ने शुरू की क्रमिक भूख हड़ताल। आज बैठक में तय करेंगे कि सरकार से बात करनी है या नहीं। आंदोलन से जुड़ी हर जानकारी...


03:21 PM, 22nd Dec
-कारोबारियों के संगठन अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने दावा किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हुए कुछ राज्यों के किसानों के आंदोलन से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में लगभग 14 हजार करोड़ रुपए का बड़ा नुक़सान हुआ है।

11:00 AM, 22nd Dec
-किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह ब्लॉक किया। 

10:20 AM, 22nd Dec
-भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें कृषि मंत्री की ओर से अभी तक बैठक का कोई न्यौता नहीं मिला है। किसानों ने फैसला किया है कि बिल वापस होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे। सभी मुद्दों का हल निकलने में एक माह से भी ज्यादा समय लगेगा।

10:07 AM, 22nd Dec
-कुछ ही देर में शुरू होगी सिंघू बॉर्डर पर किसानों की बैठक।
-लोगों की नजर इस बात पर लगी हुई है कि क्या किसान सरकार से बातचीत के लिए तैयार होंगे?

08:36 AM, 22nd Dec
-हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल जारी।
-सुबह 10 बजे किसानों की बैठक, सरकार से बातचीत पर लेंगे फैसला।
-किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं।

08:35 AM, 22nd Dec
-कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो।

08:35 AM, 22nd Dec
-किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद 9 दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी।
-किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया था।