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Written By हिमा अग्रवाल
Last Updated : सोमवार, 14 दिसंबर 2020 (11:04 IST)

अनशन पर बैठे 40 किसान संघों के प्रतिनिधि, आंदोलन के जरिए जमीन तैयार करने में जुटी राजनीतिक पार्टियां

अनशन पर बैठे 40 किसान संघों के प्रतिनिधि, आंदोलन के जरिए जमीन तैयार करने में जुटी राजनीतिक पार्टियां - farmerprotest : 40 Farmers union leader sitting on hunger strike
मोदी सरकार के 3 कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कड़ाके की ठंड होने के बावजूद पिछले 19 दिनों से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान दिल्ली बॉर्डर पर विरोध में धरना दिए हुए हैं। इन किसानों की मांग है कि सरकार इन कृषि कानून को वापस लें।
किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के कई नेताओं का भी समर्थन भी मिल रहा है। केन्द्र सरकार का कहना है कि इन 3 कानून किसानों की आय वृद्धि और सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है।
सरकार के नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आज 40 किसान संघों के प्रतिनिधि सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक अनशन पर बैठ गए हैं। किसान संगठनों के सभी अध्यक्ष सोमवार को एक दिन का भूख हड़ताल पर हैं। इस दौरान सभी ज़िला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान यूपी बॉडर पर डटे हुए हैं। टिकैत का कहना है कि कहा कि कृषि अध्यादेश में प्रावधान था कि किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकता है, लेकिन कानून बनने के बाद धरातल पर ऐसा कुछ नही है।
केंद्र सरकार सिर्फ उद्योगपतियों की हितैषी है और कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए ही काम कर रही है। जब तक किसानों की मांगें मानी नही जाती है, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। सरकार को किसानों से पुनः वार्ता करके उनकी मांगों को सुने, सभी मुद्दों पर खुलकर बात हो, लेकिन अब तक कृषि कानूनों को लेकर सरकार ने कोई बात नहीं की है। 
वहीं उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में राजनीतिक दल भी अपनी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं।

जहां एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए एक दिन की भूख हड़ताल पर गए हैं तो वहीं यूपी में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश के आह्वान पर समाजवादी पार्टी के नेता अपने जिलों में प्रदर्शन करते हुए भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
 
अब देखना वाली बात यह होगी कि गांधीगिरि करते हुए जो किसान संगठन के 40 अध्यक्ष एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठे है, जिसमें विपक्ष का समर्थन भी मिल रहा है, केन्द्र सरकार किसानों के प्रतिनिधियों की राय शामिल करती है या नहीं।