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Written By गायत्री शर्मा

शिर्डी के कण-कण में बसता है साँई

साँईधाम शिर्डी की अविस्मरणीय यात्रा

Shirdi Sai Baba | शिर्डी के कण-कण में बसता है साँई
Gayarti SharmaWD
साँई धाम शिर्डी की यात्रा मेरे जीवन के यादगार अनुभवों में से एक है। कहते हैं आप जिससे प्रेम करते हैं, उससे संबंधित हर चीज, हर जगह आपको अच्छी लगने लगती है। कुछ ऐसा ही भक्त और भगवान का रिश्ता भी होता है।

हम सभी के आराध्य देव हमारे लिए सभी संकट हरने वाले व सबसे अच्छे होते हैं। उस आराध्य के दर्शन मात्र से ही मन पवित्र हो जाता है तथा मन नास्तिकता से आस्तिकता की ओर प्रवृत्त हो जाता है। कुछ ऐसा ही पावन स्थान है साँई बाबा का शिर्डी धाम, जहाँ के कण-कण में साँई बसता है।

मेरी शिर्डी यात्रा की शुरुआत हुई मप्र के इंदौर शहर से। पूरे परिवार के साथ मैंने इस यात्रा का आनंद उठाया। हमने अपने गंतव्य स्थल तक पहुँचने के लिए किराए की टैक्सी का चयन किया। 10 मार्च रात को लगभग 8 बजे हमने इंदौर से यात्रा की शुरुआत की। यदि मैं रास्ते की बात करूँ तो लगभग यह पूरा रास्ता छोटे-बड़े गड्ढ़ों से भरा रास्ता है।

मार्ग में बीच-बीच में भेरू घाट व अन्य घाट भी आते हैं, जहाँ के खतरनाक मोड़ आपकी यात्रा को रोमांचक बना देते हैं परंतु कहते हैं कि जब हम ईश्वर के दरबार में अर्जी लगाने जाते हैं, तब हम सब दुख तकलीफें भूलकर केवल ईश्वर को याद करते हैं। 11 मार्च को सुबह लगभग 4:30 बजे हम साँई बाबा के धाम शिर्डी पहुँचे।

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भक्त निवास एक बेहतर आरामगाह :-
शिर्डी में ठहरने की बहुत सारी अच्छी होटलें व धर्मशाला हैं परंतु यहाँ साँई बाबा मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनाया गया 'भक्त निवास' यात्रियों के लिए कम खर्च में सर्वसुविधायुक्त एक अच्छा आरामगाह है। यहाँ हर रोज हजारों की संख्या में या‍त्री ठहरते हैं। कई बार तो यहाँ ठहरने के लिए जगह भी नसीब नहीं होती है।

रात्रि के समय यहाँ के बरामदे, भोजन कक्ष, हॉल, कुर्सियाँ सभी यात्रियों से खचाखच भरे होते हैं। यदि आप हॉल में सोना चाहते हैं तो आपको यहाँ किराए पर बिस्तर भी आसानी से मिल जाएँगे। चूँकि हम बहुत थके हुए थे इसलिए हमने यहाँ-वहाँ भटकने की बजाय भक्त निवास में ही बिस्तर किराए पर लेकर विश्राम किया।

भक्तों के लिए यहाँ नाम मात्र के शुल्क में भोजन व नाश्ता की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ आप महज 1 रुपए के टोकन में चाय व 2 रुपए के टोकन में कॉफी तथा 5 से 10 रुपए के टोकन में भोजन कर सकते हैं। चाय पीने के बाद हमने रुख किया साँई मंदिर की ओर। साँई मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्त निवास से नि:शुल्क बस सुविधा भी उपलब्ध है।

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शिर्डी साँई बाबा मंदिर :-
आम दिनों में भी साँई मंदिर व समाधि स्थल के दर्शन हेतु भक्तों की लंबी कतारें लगती है परंतु गुरुवार, दशहरा व अन्य त्योहारों पर यहाँ बाबा के दर्शन हेतु भक्तों का हुजूम उमड़ता है। अत: बेहतर होगा कि आप इन दिनों को छोड़कर आम दिनों में बाबा के दर्शन का लाभ ले ता‍कि आपका शांति से बाबा के दर्शन करने का उद्देश्य पूरा हो जाए। हालाँकि हमने बुधवार(होली के दिन) बाबा के दर्शन किए परंतु उस दिन भी हमें दर्शन की कतार में खड़े-खड़े लगभग एक घंटे से भी अधिक का समय लगा।

कतारों हेतु बनाया गया चक्करदार रास्ता हमारी बाबा के दर्शनों की उत्सुकता को ओर अधिक बढ़ा रहा था। अंतत: जब हमें बाबा के दर्शन हुए, वो पल एक अविस्मरणीय पल था। सोने के सिंहासन पर विराजित बाबा की चमत्कारी प्रतिमा का तेज देखते ही बनता था। ऐसा लग रहा था मानो वो मूर्ति अभी बोल पड़ेगी। सौभाग्य से हमें 15 मिनट तक लगातार बाबा की प्रतिमा को निहारने का मौका मिला।

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साँई प्रसादालय :-
शिर्डी में साँई मंदिर ट्रस्ट द्वारा बनाई गई भोजनशाला सांप्रदायिक सद्भाव की बेहतर मिसाल है। यहाँ किसी भी प्रकार के भेदभाव के बगैर हजारों भक्त एकसाथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं। यह भोजनशाला साँई बाबा मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महज 5 रुपए के टोकन पर आप भरपेट भोजन कर सकते हैं।

यहाँ की सफाई व्यवस्था, विशाल भोजन कक्ष, पांडाल व मेजबानी देखते ही बनती है। जाति-धर्म का भेद भुलाकर बड़े ही प्रेम से भक्तजन यहाँ साँई के प्रसादस्वरूप भोजन ग्रहण करते हैं।

शिर्डी से शनि शिगनापुर का सफर :-
शिर्डी साँई बाबा के दर्शन के बाद हमारा अगला पड़ाव था 'शनि शिगनापुर', जोकि शिर्डी से लगभग 90 किमी की दूरी पर है। दो घंटे की यात्रा के बाद हम शिर्डी से शिगनापुर पहुँच गए। यहाँ भगवान शनिदेव का विश्वप्रसिद्ध चमत्कारी मंदिर है।

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ शनिदेव की विशाल पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र के विराजित हैं। शिगनापुर के शनिदेव के दर्शन करके हमने दोपहर में 3 बजे इंदौर का रूख किया और मार्ग में शाम को 5 बजे शिर्डी भी आया। रात को लगभग 1 बजे हम इंदौर पहुँचकर हमने अपनी यादगार यात्रा समाप्त की।