रविवार, 28 अप्रैल 2024
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Written By समय ताम्रकर

दे दना दन : कॉमेडी का ओवरडोज

De Dana Dan Movie Review | दे दना दन : कॉमेडी का ओवरडोज
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बैनर : वीनस रेकॉर्डस, इरोज़ एंटरटेनमेंट, बाबा आर्टस लिमिटेड प्रोडक्शन
निर्माता : गणेश जैन, गिरीश जैन, रतन जैन
निर्देशक : प्रियदर्शन
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती, आरडीबी, एड बॉयज़
कलाकार : अक्षय कुमार, कैटरीना कैफ, सुनील शेट्टी, परेश रावल, नेहा धूपिया, समीरा रेड्डी, अर्चना पूरनसिंह, चंकी पांडे, राजपाल यादव, असरानी, शक्ति कपूर, अदिती गोवित्रीकर, मनोज जोशी
यू/ए * 2 घंटे 40 मिनट
रेटिंग : 2.5/5

प्रियदर्शन की ज्यादातर हास्य फिल्मों में पात्र गरीब होते हैं और जल्दी से अमीर बनने के उनके सपने होते हैं। इन सपनों को पूरा करने के लिए वे ऐसा कदम उठाते हैं कि मुसीबतों में फँस जाते हैं और हास्यास्पद परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। क्लायमैक्स में सारे पात्र एक इकठ्ठा होकर भागते रहते हैं और फिल्म खत्म होती है। उनकी ताजा फिल्म ‘दे दना दन’ में भी यही सब है।

नितिन (अक्षय कुमार) और राम (सुनील शेट्टी) अपने काम से खुश नहीं हैं। उनकी गर्लफ्रेंड्‍स (कैटरीना कैफ और समीरा रेड्डी) बेहद अमीर हैं। नितिन और राम जल्दी अमीर बनना चाहते हैं ताकि अपनी प्रेमिकाओं से शादी कर सके क्योंकि उन्हें चेतावनी मिल चुकी है कि यदि वे जल्दी धनवान नहीं बने तो उनकी प्रेमिकाओं की शादी किसी ओर से हो जाएगी।

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अमीर बनने के लिए नितिन, राम के साथ मिलकर अपनी मालकिन (अर्चना पूरनसिंह) के कुत्ते का अपहरण कर लेता है क्योंकि इस कुत्ते को उसकी मालकिन बेटे जैसा चाहती है। कुत्ते को उठाने के बाद नितिन और राम एक आलीशान होटल में छिप जाते हैं, लेकिन कुछ देर बाद स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

इसी होटल में राम की प्रेमिका की शादी हरबंस (परेश रावल) के बेटे (चंकी पांडे) से हो रही है। पूरी बारात होटल में ठहरी है। चाइनीज़ डॉन (असरानी), हत्यारा (जॉनी लीवर), वेटर (राजपाल यादव), पुलिस इंसपेक्टर (शरत सक्सेना), क्लब डांसर (नेहा धूपिया) जैसे कुछ और पात्र कहानी में जुड़ जाते हैं और शुरू हो जाता है गलतफहमियों का सिलसिला जो अंत में होटल में बाढ़ आने के बाद समाप्त होता है।

दो दर्जन से अधिक कलाकारों की भीड़ फिल्म में जमा की गई है। छोटे से रोल में भी नामी कलाकार है। हर किरदार की अपनी कहानी है और इस कारण मुख्य कहानी के साथ-साथ कई कहानियाँ चलती रहती है। थोड़ी देर बाद किरदारों की तरह दर्शक भी कन्फ्यूज होने लगता है। शायद प्रियन यही चाहते हैं कि दर्शक कन्फ्यूज हो जाए और सामने चल रहे दृश्य का मजा ले और क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है जैसी बातों में न पड़े। जो लोग दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना चाहते हैं उन्हें हँसने के कई मौके फिल्म उपलब्ध कराती है। अक्षय-अर्चना और जॉनी लीवर वाले कुछ दृश्य बेहतरीन बन पड़े हैं।

प्रियदर्शन का निर्देशन रूटीन काम की तरह है। उनके पास नया देने के लिए कुछ नहीं है और उन्होंने अपने आपको दोहराया ही है। उन्होंने सिर्फ कॉमेडी पर फोकस किया है और रोमांस, इमोशन जैसी बातों को भूला दिया है। अक्षय-कैटरीना जैसी सफल जोड़ी का भी खास उपयोग नहीं किया गया।

अक्षय और कैटरीना जैसे स्टार्स के साथ यह फिल्म न्याय नहीं करती है। इन दोनों स्टार्स के रोल देखकर उनके प्रशंसक खुश नहीं होंगे। इंटरवल के बाद तो अक्षय को एक अलमारी में बंद कर कुछ देर के लिए भूला दिया गया है।

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अभिनय की बात की जाए तो अक्षय कुमार, परेश रावल, नेहा धूपिया और जॉनी लीवर याद रहते हैं। फिल्म के अधिकतर कलाकारों ने लाउड एक्टिंग की है और चीख-चीखकर संवाद बोले हैं।

एकाध गाना छोड़ दिया जाए तो प्रीतम का संगीत शोरगुल से भरा हुआ है। गानों की सिचुएशन भी ठीक से निर्मित नहीं की गई है और उन्हें ठूँस दिया गया है। हाल ही में प्रदर्शित ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ की तरह इस फिल्म की भी आधे से ज्यादा शूटिंग एक होटल में की गई है।

कुल मिलाकर ‘दे दना दन’ उन लोगों को थोड़ा-बहुत मनोरंजन कर सकती है, जो दिमाग पर जोर लगाए बिना कुछ देर हँसना चाहते हैं।