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शुक्रवार, 21 दिसंबर 2007 (19:37 IST)
बागी बने भाजपा की मुसीबत
जूनागढ़ में समूचा निर्वाचन क्षेत्र बागी गतिविधियों का केन्द्र बना हुआ है। यहाँ दस सीटें हैं जिनके चुनाव में पाँच दिन से भी कम समय बचा हैं।
भाजपा को तब हलकी राहत मिली थी, जब पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता केशूभाई पटेल के सबसे छोटे बेटे भरत पटेल ने यहाँ अपने पिता की सीट से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, लेकिन बागी गतिविधियों को देखते हुए लगता है उसकी डगर आसान नहीं है।
विसावदार केशूभाई का मजबूत गढ़ है। वहाँ भाजपा के वर्तमान विधायक कानूभाई भालरा का मुकाबला कांग्रेस के हर्षद भाई रिबादिया तथा भाजपा के बागी उम्मीदवार गोगनभाई से है, जो उमा भारती के भारतीय जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार हैं। सन 2002 के चुनाव में केशूभाई ने यह सीट 18 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीती थी।
भरत ने कहा कि मुझे शक है कि भालरा अपनी सीट बचा पाएँ। मुझे हटना पड़ा क्योंकि मैंने महसूस किया कि पार्टी रास्ते से भटक गई है। पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुनी जा रही है।
भरत ने विकास योजना की अनदेखी किए जाने को लेकर दुख प्रकट किया। न केवल विसावदार में बल्कि समूचे सौराष्ट्र क्षेत्र में, जो 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में 58 विधायक भेजता है।
भरत नाखुश जरूर लगते हैं, लेकिन उनका पार्टी छोड़ने का इरादा नहीं है। वे कहते हैं हमारा दिल भाजपा में बसा है। हम वफादारी नहीं बदलेंगे। हम पार्टी को सही हाथों में देखना चाहते हैं, जो मौजूदा परिस्थितियों में संभव नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि विसावदार में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है।
जूनागढ़ में ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेन्द्र भाई भी भरत की भावनाओं में सहमत हैं। जूनागढ़ (शहर) से कांग्रेस के उम्मीदवार शहनाज बॉबी कहते हैं कि कांग्रेस को उम्मीद है कि भगवा पार्टी से कटे अधिकांश मत उसके पक्ष में जाएँगे। लोगों ने भाजपा का असली चेहरा देख लिया है।
इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रणछोड़ भाई थेकिया का दावा है भाजपा प्रचार अभियान में उत्साह की कमी दर्शाती है कि चीजें क्या रूप ले रही हैं। विसावदार में पटेल विभाजित लगते हैं। भरत कहते हैं कि भाजपा से विभिन्न जातियों का बढ़ता मोहभंग साबित करता है कि पार्टी के काम करने के तरीके में कुछ खामी है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कुछ दिन पहले केशूभाई ने सार्वजनिक तौर पर एक समुदाय के समारोह में कहा कि भाजपा को 10 में से दो से अधिक सीटें मिलने वाली नहीं।