Padma Ekadashi : वर्ष की 5 बड़ी एकादशियों में से एक परिवर्तिनी एकादशी का खास महत्व होता है, जिसे वामन और पद्मा एकदशी भी कहते हैं। इसके अलावा इसे जलझूलनी एकादशी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इस बार इस एकादशी का व्रत 6 सितंबर 2022 मंगलवार को रखा जाएगा। आओ जानते हैं इसका व्रत की 12 खास बातें।
1. ऐसी मान्यता है, कि डोल ग्यारस का व्रत रखे बगैर जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण नहीं होता।
2. इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं।
3. इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन किया गया था। इसीलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। डोल ग्यारस के अवसर पर सभी कृष्ण मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक डोल में विराजमान कर उनको नगर भ्रमण कराया जाता है। इस अवसर पर कई शहरों में मेले, चल समारोह, अखाड़ों का प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। इसके साथ ही डोल ग्यारस पर भगवान राधा-कृष्ण के एक से बढ़कर एक नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं।
4. इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा को राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहा जाता है।
5. इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा सुनने से लाभ मिलता है।
6. परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है।
7. इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
8. इसे पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह देवी लक्ष्मी का आह्लादकारी व्रत है इसलिए इस दिन लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है।
9. इस दिन गेंहू, धन, फल, वस्त्र और सिंदुर का दान करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
10. इस दिन भोजन पूर्व गाय माता को चारा खिलाने से दरिद्राता दूर होती है।
11. इस एकादशी पर व्रत रखने और विष्णु पूजन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
12. इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु, लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।