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Last Modified: मंगलवार, 10 मई 2022 (18:15 IST)

12 मई को है मोहिनी एकादशी व्रत, गुरुवार के शुभ संयोग में कर लीजिए 5 उपाय

What should not be done on Ekadashi
Mohini Ekadashi 2022 : 12 मई 2022 गुरुवार को वैशाख शुक्ल की एकादशी यानी मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। गुरुवार को एकादशी का आना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन फाल्गुन नक्षत्र और हर्षण योग में यह व्रत रखा जाएगा।  आओ जानते हैं 5 खास उपाय।
 
 
5 उपाय करेंगे तो सुख, शांति, धन और समृद्धि मिलेगी:
 
1.  इस दिन उपाय के रूप में तुलसी के समक्ष घी जलाएं और कम से कम 11 परिक्रमा करें। इस पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करके दीपक प्रज्वलित करें और इसकी भी परिक्रामा करें।
 
2. इस दिन पीले फल, वस्त्र और फूल को मंदिर में अर्पित करें और दक्षिणावर्ती शंख की विधिवत पूजा करें। श्रीहरि को पीले रंग की वस्तु अर्पित करना  चाहिए।
 
3. यदि आपको कुंडली के अनुसार मोती रत्न धारण करने का कहा गया है तो यह दिन बहुत शुभ है।
 
4. सभी तरह के दु:ख और संकटों से छुटकारा पाने के लिए 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का तुलसी माला से जप करें। 
 
5. इस दिन खीर में तुलसी का पत्‍ता डालकर भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी को भोग लगाएं। इससे पहले श्री हरि विष्णुजी का गंगाजल और केसर दूध से अभिषेक करेंगे तो उनकी विशेष कृपा प्राप्त होगी।
 
 
इस दिन ये मुख्य कार्य करते हैं:-
 
1. पूजा : मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करने से जहां सुख-समृद्धि बढ़ती है वहीं शाश्वत शांति भी प्राप्त होती है। खासकर उनके मोहिनी रूप की पूजा करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु को चंदन और जौ चढ़ाने चाहिए क्योंकि यह व्रत परम सात्विकता और आचरण की शुद्धि का व्रत होता है। 
 
2. व्रत : इस दिन व्रत-उपवास रखकर मोह-माया के बंधन से मु‍क्त होने के लिए यह एकादशी बहुत लाभदायी है। अत: हमें अपने जीवन काल में धर्मानुकूल आचरण करते हुए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग ढूंढना चाहिए।
 
3. कथा : मोहिनी एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं को सुबह से ही पूजा-पाठ, प्रातःकालीन आरती, सत्संग, एकादशी महात्म्य की कथा, प्रवचन सुनना चाहिए। साथ ही मोहिनी एकादशी की कथा सुनना चाहिए।
 
4. मंत्र : एकादशी के दिन इनमें से किसी भरी मंत्र का 108 बार जाप अवश्‍य करना चाहिए। 
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। 
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।