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Written By अनिरुद्ध जोशी

दशहरा पर शमी के पेड़ की पूजा करने से होंगे ये 5 चमत्कारिक लाभ

दशहरा पर शमी के पेड़ की पूजा करने से होंगे ये 5 चमत्कारिक लाभ - Shami Ke Patte
पौराणिक मान्यता के अनुसार पांडवों के शमी के पेड़ पर ही अपने अस्त्र शस्त्र छुपाकर विराटनगर में भेष बदलकर अज्ञातवान गुजारा था। शमी के दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा और उसके पत्ते को बांटने का प्रचलन है। माना जाता है कि दशहरे के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्रा देते हुए शमी की पत्तियों को सोने का बना दिया था, तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है। इस दिन इस पेड़ का महत्व बहुत ही बड़ जाता है।
 
 
दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पत्त‍ियां, जिन्हें सफेद कीकर, खेजडो, समडी, शाई, बाबली, बली, चेत्त आदि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म की परंपरा में शामिल है।
 
1. शमी में शनिदेव का निवास होता है। इसीलिए इसकी पूजा का महत्व है। दशहरे के दिन इसकी पूजा करने से कई तरह से संकटों से व्यक्ति बच जाता है और हर क्षेत्र में वह विजयी पाता है।
2. शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि ग्रह संबंधी सभी प्राकर के दोष समाप्त हो जाते हैं। जैसे शनि की साढ़े साती, ढैय्या आदि।
 
3. विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष पूजा करने से घर में तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
 
4. 'शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।'
 
अर्थात हे शमी वृक्ष, आप पापों का क्षय करने वाले और शत्रुओं का नाश करने वाले हैं। आप अर्जुन का धनुष धारण करने वाले हैं और श्रीराम को प्रिय हैं। जिस तरह श्रीराम ने आपकी पूजा की, हम भी करेंगे। हमारी विजय के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं से दूर करके उसे सुखमय बना दीजिए।
 
5. शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। शमी के पत्ते तोड़ना नहीं चाहिए, नीचे ताजा गिरे हुए पत्ते को या तो अपने पास संभालकर रख लें या शिवजी पर चढ़ाते समय ये मंत्र बोलें- अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च। दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
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