गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अक्षय तृतीया
  4. अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 1 मई 2024 (11:57 IST)

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

Akshay Tritiya Story | अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा
HIGHLIGHTS
 
• अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्राप्त है।
• अक्षय तृतीया की कथा क्या है।
• अक्षय तृतीया पर पढ़ी जाती है धर्मदास वैश्य की कथा। 
Akshay Tritiya Story in Hindi: अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं। यानी आखा का अर्थ संपूर्ण, छानना छलनी, खुरजी, एक विशेष प्रकार का बर्तन। लेकिन यहां इसका अर्थ कभी न नष्ट होने वाले से है। अविनाशी मुहूर्त या अबूझ मुहूर्त। अत: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार पूरे वर्ष में साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त होते हैं। 
 
पहला चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरा विजया दशमी और तीसरा अक्षय तृतीया और आधा मुहूर्त कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रहता है। इस तरह साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त माने गए हैं। अबूझ मुहूर्त का अर्थ होता है कि इन तिथियों के दिन पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है इसलिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। इसी कारण ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारंभ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।
आइए अब यहां जानते हैं अक्षय तृतीया की कथा :  
 
प्राचीन काल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। 
 
एक दिन धर्मदास ने किसी से अक्षय तृतीया व्रत के माहात्म्य बारे में सुना कि ‘वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को देवताओं का पूजन व ब्राह्मणों को दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है।’ 
 
कालांतर में जब अक्षय तृतीया का पर्व आया तो वैश्य ने गंगा स्नान कर, अपने पितरों का तर्पण किया। स्नान के बाद घर जाकर विधि-विधानपूर्वक देवी-देवताओं का पूजन कर, ब्राह्मणों को अन्न, सत्तू, चावल, दही, चना, गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं, गुड़, सोना, ईख, खांड तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं श्रद्धा-भाव से दान की। 
 
धर्मदास की पत्नी, के बार-बार मना करने, कुटुंबजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। 
 
अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई। अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के श्रवण से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ऐसी इस कथा की मह‍त्ता है। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Akshaya Tritiya Muhurat 2024
ये भी पढ़ें
Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?