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Last Updated : मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022 (10:00 IST)

दिवाली पर दीये क्यों जलाते हैं?

Diwali 2022 : दिवाली पर दीये क्यों जलाते हैं? - Why do we light diyas on Diwali
दिवाली की रात हर घर में दीपक यानी दीये जलाए जाते हैं। पूरा घर और शहर दीपकों से जगमगा जाता है। चारों ओर दीप मालाओं की रोशनी को देखकर आनंद की अनुभूति होती है। आखिर क्या कारण है कि दीपावली पर ही दीये क्यों जलाएं जाते हैं। क्या है इसके पीछे का पौराणिक और वैज्ञानिक रहस्य। आओ जानते हैं।
 
दीपक जलाते समय बोलें यह मंत्र-
मंत्र- शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्, शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।
 
 
दिवाली पर दीए क्यों जलाते हैं | diwali par kyon jalte hain diye:
 
1. शुद्ध होता है वातावरण : जब घर के भीतर और घर के चारों ओर कई दीये जलाए जाते हैं तो वातावरण शुद्ध होता है। दीवाली पर हल्की-हल्की ठंठ भी प्रारंभ हो जाती है। इससे वास्तु दोष भी दूर होता है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
2. पंच तत्वों का समायोजन : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु इन सभी पांच तत्वों से दीपक बनकर प्रकाशित होता है। कहते हैं कि धनतेरस से भैयादूज तक अखंड दीपक जलाने से पांचों तत्व संतुलित होते हैं और इसका असर पूरे साल व्यक्ति के जीवन पर रहता है।
 
3. सबसे अंधेरी अमावस्या : दिवाली पर आने वाली अमावस्या को सबसे ज्यादा यानी घोर अंधेरा रहता है। इसी अंधेरे को दूर करने के लिए ही हर घर में दीपक जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संदेश दिया जाता है। कहते हैं कि घोर अंधेरे में नकारात्मकता भी बढ़ जाती है, इसीलिए इसे दूर करने के लिए उजाला किया जाता है। अमावस्या पर बुरी शक्तियों को कमजोर करने के लिए घर के कोने-कोने में दीपक जलाए जाते हैं।
 
 
4. पितरों के निमित्त जलाते हैं दीया : श्राद्ध पक्ष होने के तुरंत बाद दिवाली आती है। श्राद्ध पक्ष में हमारे पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं। पृथ्‍वी लोक से पितृ पुन: अपने अपने लोक या पितृ लोक जाते हैं। हमारे पितर मार्ग से भटक न जाएं, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था की जाती है। इससे उन्हें पितृ लोक में जाने में आसानी होती है। यह भी कहते हैं कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरंभ होती है। इस प्रथा का बंगाल में प्रचलन है।
history of ayodhya
5. श्रीराम के अयोध्या आगमन पर मनाते हैं दिवाली : दीपावली के दिन ही भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास भोगने के बाद नंदीग्राम से अयोध्या की सीमा में प्रवेश किया था। भगवान श्रीराम के नगर आगमन पर भी दीपक जलाकर खुशियां मनाई गई थी, इसलिए भी जलाते हैं दीये।
 
6. काली माता के लिए : कहते हैं कि अमावस्या के दिन माता काली प्रकट हुई थी। इसलिए उन्हीं के निमित्त दीये जलाए जाते हैं। भारतीय राज्य बंगाल में दिवाली के दिन माता काली की ही पूजा होती है।