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Written By WD

दीपावली महापर्व की 5 मान्यताएं, जरूर पढ़ें

दीपावली महापर्व की 5 मान्यताएं, जरूर पढ़ें - Diwali
दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है,जो पांच दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व के हर दिन से जुड़ी कुछ विशेष मान्यताएं हैं, जो इस महापर्व को बेहद खास बनाती हैं। जानिए पांच दिवसीय इस दीप पर्व से जुड़ी प्रचलित मान्यताएं...

 
1 धन तेरस - धन तेरस यानि दीपावली से दो दिन पहले से इस दीप पर्व की शुरुआत हो जाती है। धन तेरस को धन, समृद्धि और खुशहाली से जोड़कर देखा जाता है। धन तेरस को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे। तभी से इस दिन का नाम धन्वंतरि के नाम के अनुसार, धन तेरस पड़ा और इस दिन बर्तन, धातु व आभूषण खरीदने की परंपरा शुरु हुई। इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है, और उनके नाम के दीये जलाकर घर के आंगन और विभिन्न स्थानों पर सजाए जाते हैं।

2 रूप चतुर्दशी- रूप चतुर्दशी को रूप चौदस या नरक चौदस भी कहा जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है, कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन एवं स्नान करने से समस्प पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी  माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के पश्चात स्नान करता है, उसके वर्ष भर के पुण्य नष्ट हो जाते हैं और वह पाप का भागी बन, नरक में जाता है। यही कारण है कि इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। वहीं इस दिन से एक ओर मान्यता जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार इस दिन उबटन करने से रूप व सौंदर्य में वृद्ध‍ि होती है। 
3 दीपावली - दीपावली यानि लक्ष्मी पूजन का दिन। दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथ से मां लक्ष्मी प्रकट हुईं थी, जिन्हें धन, वैभव ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। अत: इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए। मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और उनसे धन-समृद्ध‍ि के रूप में घर में वास करने का आग्रह किया जाता है।
दीपावली को लेकर एक और मान्यता है, जिसके अनुसार इस दिन भगवान रामचंद्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे। श्रीराम के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए थे और नगर भर को रौशन कर दिया था। तभी से दीपावली के दिन दीप जलाने की परंपरा है।

4 गोवर्धन पूजा - गोवर्धन पूजा, दीपावली के दूसरे की की जाती है। इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है, कि त्रेता युग में जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलाधान बारिश शुरु कर दी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव वासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया। तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा चली आ रही है।

 
5 भाई दूज - भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। इस बहन भाई दूज का पूजन कर अपने भाई को तिलक कर उसे भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन को ल लेकर मान्यता है, कि यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने के लिए उनके घर आए थे और यमुना जी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए पधारेंगे। साथ ही जो बहन इस दिन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी। तभी से भाई दूज पर यह परंपरा बन गई।
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