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भैयादूज पर आकाश में यह पक्षी दिखे तो समझें हर मनोरथ होंगे पूरे

भैयादूज पर आकाश में यह पक्षी दिखे तो समझें हर मनोरथ होंगे पूरे - bhai duj 2017
भैयादूज पर संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। इस संदर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं, उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।
 
चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व:-
 
इसके साथ ही कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। वे इस दिन कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं। 
 
 मान्यता है की इस दिन यदि आसमान में उड़ती हुई चील दिखे और बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करें तो वो दुआ पूरी होती है। जो बहनें अपने भाई से दूर होती है और जिनका कोई भाई नहीं है वे चन्द्र देव की आरती करके अपने भाई के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने की प्रार्थना करती है। 
 
भैया दूज शुभ मुहूर्त और पूजन विधि:--
 
 भाई दूज पर तिलक लगाने या टीका करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 से 03:27 तक है। तिलक करने के मुहूर्त की अवधि 2 घंटे 14 मिनट की है।
  
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि 21 अक्टूबर 2017 सुबह 01:37 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 22 अक्टूबर 2017 प्रातः 03:00 बजे समाप्त होगी।
 
भैया दूज की पूजा सामग्री:-
 
1- आरती की थाली
2- टीका, चावल
3- नारियल, गोला (सूखा नारियल) और मिठाई
4-ज्योत और धूप
5- सिर ढंकने के लिये रुमाल या छोटा तोलिया
6- कलावा
 
 भैया दूज की पूजन विधि:-
 
भाई दूज के दिन बहनों को भाई के माथे पर टीका लगा उसकी लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए। इस दिन सुबह पहले स्नान करके विष्णु और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके उपरांत भाई को तिलक लगाना चाहिए। 
 
स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन पूजा की विधि :-
 
इस दिन भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अगर बहन की शादी ना हुई हो तो उसके हाथों का बना भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चाचा, भाई, मामा आदि की पुत्री अथवा पिता की बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए। इस दिन यमुनाजी में स्नान का विशेष महत्व है। 
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