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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (17:57 IST)

Dhanteras 2025: कभी चोर थे धन के देवता कुबेर, जानिए देवताओं के कोषाध्यक्ष की कहानी

dhanteras
Who is lord kuber: धनतेरस पर देवी लक्ष्मी के साथ जिन देवता की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है, वे हैं भगवान कुबेर। उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष और यक्षों का राजा कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस देवता को हम धन का संरक्षक मानते हैं, उनका पूर्वजन्म का जीवन पूरी तरह से विपरीत था? शिव पुराण और स्कंद पुराण में एक अत्यंत रोचक कथा मिलती है, जो बताती है कि कुबेर ने अपने पिछले जन्म में एक चोर के रूप में जन्म लिया था, और अनजाने में किए गए एक पुण्य कार्य ने उन्हें धन के सर्वोच्च पद पर बिठा दिया।

पूर्वजन्म में थे जुआरी और चोर: पौराणिक कथा के अनुसार, कुबेर अपने पूर्वजन्म में 'गुणनिधि' नामक एक ब्राह्मण थे। गुणनिधि ने बचपन में धर्मशास्त्रों का अध्ययन तो किया, लेकिन बाद में वह कुसंगति में पड़ गया। वह जुआ खेलने लगा और धीरे-धीरे चोरी तथा अन्य गलत कार्यों में शामिल हो गया। जब गुणनिधि के पिता यज्ञदत्त ब्राह्मण को उसके इन कार्यों का पता चला, तो उन्होंने दुख से भरकर उसे घर से निकाल दिया। घर से बेघर होने के बाद गुणनिधि भूखा-प्यासा भटकने लगा।

कैसे पलटा भाग्य: एक रात, भटकते हुए गुणनिधि एक शिव मंदिर के पास पहुँचा। उस रात शिवरात्रि थी और मंदिर में भोग लगा हुआ था। भूख से बेहाल गुणनिधि ने भगवान शिव को अर्पित प्रसाद (भोग सामग्री) को चुराने की योजना बनाई। वह मौका देखकर दबे पांव मंदिर में घुस गया। प्रसाद चोरी करने के लिए गुणनिधि को अंधेरे में ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था। मंदिर में जल रहा एक दीपक बार-बार हवा से बुझ जाता था। भोग सामग्री देखने के लिए, गुणनिधि ने अपने शरीर पर ओढ़ा हुआ कपड़ा फाड़कर उस दीपक की लौ को बुझने से बचाने के लिए चारों ओर लगा दिया, ताकि उजाला बना रहे। जैसे ही वह प्रसाद लेकर भागने लगा, मंदिर के पुजारी या नगर रक्षकों की नज़र उस पर पड़ गई। चोरी के आरोप में पीछा करने पर गुणनिधि की वहीं मृत्यु हो गई।

शिव के महावरदान ने बनाया कुबेर
गुणनिधि भले ही चोर था और उसका इरादा चोरी का था, लेकिन अनजाने में उसने तीन बड़े पुण्य किए:
• उसने शिवरात्रि का व्रत रखा (क्योंकि वह दिन भर भूखा रहा)।
• उसने अनजाने में ही शिव मंदिर में दीपदान (दीपक की लौ को बचाना) किया।
• उसने प्रसाद चुराने के प्रयास में ही सही, लेकिन भगवान शिव के समक्ष वस्त्र का त्याग किया।
इन अनजाने पुण्यों और शिव के प्रति असीम भक्ति के कारण जब यमदूत उसे लेने आए, तो भगवान शिव के गणों ने उन्हें रोक लिया। भगवान शिव ने गुणनिधि को दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे निष्कपट भाव से किए गए दीपदान से मैं प्रसन्न हूँ। उन्होंने गुणनिधि को यह वरदान दिया कि तुम अगले जन्म में 'कुबेर' के रूप में जन्म लोगे और 'देवताओं के कोषाध्यक्ष' बनोगे। इस प्रकार, एक चोर अपनी अनजाने में की गई शिव भक्ति के कारण अगले जन्म में महर्षि विश्रवा के पुत्र के रूप में जन्मा और देवताओं के खजाने का रक्षक बना।
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