शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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किशोरी ताई चली गयीं.. हम सबको अपने आशीष से वंचित करके..

किशोरी ताई चली गयीं.. हम सबको अपने आशीष से वंचित करके.. - Kishori Amonkar
इस से बुरी ख़बर हो नहीं सकती... किशोरी ताई चली गयीं.. हम सबको अपने आशीष से वंचित करके... असहनीय...समझ ही नहीं आ रहा कि क्या लिखें और किस तरह अपनी तकलीफ़ को साझा करें ?
 
मेरे लिए संगीत में भक्ति का अछोर थीं वे...रागदारी के भव्य राज-प्रासाद की अकेली जीवित किंवदन्ती... गान-सरस्वती की दैवीयता का देवत्व में विलय... आज स्वर्ग में सम्पूर्ण मालकौंस की छटा अभूतपूर्व होगी..
 
हमें आज वे काफ़ी हद तक राग विमुख कर गयीं... जयपुर-अतरौली ही नहीं ,हर नया सीखने वाला संगीत विद्यार्थी आज अपने छोटे-छोटे कस्बों, शहरों में अपने उस्ताद से सीखते हुए घराने के चंदोवे की सुर-छाया से छिटक गया है, भले ही उसकी तालीम का रास्ता जयपुर की जगह कहीं और जाता हो....
 
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उनका यमन, भिन्न षडज, भीमपलासी, बहादुरी तोड़ी, शुद्ध कल्याण, सूर मल्हार, मारवा, केदार, बागेश्री, ललित पंचम, भूप सब आज से सदा के लिए अनंत में प्रस्थान कर गए हैं, क्योंकि ताई अब हमारे लिए उसको साक्षात् नहीं गाने वाली हैं।
 
शास्त्रीय संगीत की इस महीयसी ने जाने के लिए नवरात्रि की सप्तमी और अष्टमी तिथि की संधि बेला को चुना है। जैसे, कालरात्रि और महागौरी से अपने सुरों के कोछे में दूब-धान भराकर किशोरी जी देवत्व के अचल अमर्त्य सुरों में निवास करने चली गयीं हों.... प्रणाम , संगीत रसिकों के जीवन में अपनी आवाज़ से उजाला भरने के लिए.. चरण स्पर्श , सुरों से हमें कुछ बेहतर बनाने के लिए... 
 
सहेला रे आ मिल गायें
सप्त सुरन की भेद सुनाये 
जनम -,जनम को संग न भूलें
अब के मिले सो बिछुड़ न जायें !
 
(कवि:श्री यतीन्द्र मिश्र की फेसबुक वॉल से साभार)
चित्र सौजन्य : ऑल इंडिया रेडियो/ ट्विटर