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Last Modified: बुधवार, 29 जून 2016 (16:35 IST)

'इस्लाम कभी आधुनिक नहीं हो सकता

'इस्लाम कभी आधुनिक नहीं हो सकता - Islam, religion of Islam,
यह किसी साधारण आदमी का बयान नहीं है वरन दुनिया के अरबी भाषा के सबसे महानतम कवि, अदुनिस असबार का कहना है कि इस्लाम को कभी भी आधुनिक नहीं बनाया जा सकता है। ब्रेटबार्ट के एक पत्रकार क्रिस टामलिनसन के एक सवाल में कही थी। अदुनिस असबार को उनके उपनाम एडोनाइस से अधिक जाना जाता है। सीरिया में पैदा हुए इस कवि और लेखक को उनके स्वतंत्र विचारों के बारे में जाना जाता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कट्‍टर इस्लामवादियों से उनकी आवाज बंद करने की धमकी दी जाती है, 'वास्तव में मिलती हैं लेकिन मैं इनकी चिंता नहीं करता हूं। कुछ विश्वासों को बनाए रखने के लिए लोगों को अपनी जान को भी जोखिम में डालनी चाहिए।'
कुछ समय पहले उन्होंने एरिक मारिया रिमार्की पीस प्राइज के अवसर पर उन्होंने इस्लाम को लेकर टिप्पणियां की थीं जिसके बाद उनकी कड़ा आलोचना की गई थी। यह पुरस्कार प्रसिद्ध शांतिवादी और विश्व युद्ध वन पर लिखे एक क्लासिक उपन्यास 'ऑल क्वायट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट' के लेखक के नाम पर दिया जाता है। उन्होंने एक जर्मन प्रकाशन डाई वेल्ट को साक्षात्कार देते हुए जर्मनी में सर्वाधिक बड़ी समस्या- प्रवासियों की समस्या- को लेकर बात की थी।
 
स्वयं एक मुस्लिम होने के साथ-साथ कुरान की भाषा, अरबी, के महानतम जानकारों में से एक एडोनाइस ने इस बात पर विचार किया कि प्रमुख रूप मुस्लिम प्रधान देशों से आने वाले प्रवासियों के जर्मन जैसे यूरोपीय समाजों में एकीकरण की क्या मुश्किलें हो सकती हैं? उनका कहना था कि ' आप किसी धर्म में परिवर्तन नहीं कर सकते। अगर उन्हें सुधारा जाता है तो इससे उसका मूल अर्थ ही अलग हो जाता है, इसलिए आधुनिक मुस्लिमों और एक आधुनिक इस्लाम को निश्चित तौर पर ही संशोधित करना असंभव है। अगर धर्म और राज्य (देश) के बीच कोई अलगाव नहीं है तब महिलाओं की समानता के बिना कोई लोकतंत्र नहीं हो सकता है। तब हमारी व्यवस्था धर्मशासित हो जाती है। और यह समाप्त हो जाएगी।'
 
इस्लामी दुनिया पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि 'अरब लोगों में कोई भी रचनात्मक ताकत नहीं है। साथ ही, इस्लाम का बौद्धिकता से कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह कोई विचारधारा नहीं है। इसमें विचार-विमर्श पर ही पाबंदी लगाई जाती है। इस्लाम से कोई सोच, कला, विज्ञान या दूरदृष्टि ऐसी पैदा नहीं होती है जिसमें दुनिया को बदलने की क्षमता हो। बार-बार किसी एक बात को कहा इसी समाप्ति की निशानी है। अरब लोग इस दुनिया में बने रहेंगे लेकिन वे इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कुछ भी नहीं करेंगे।'
 
यह जवाब उन्होंने इस प्रश्न के पूछे जाने पर दिया था कि मध्यपूर्व में और विशेष रूप से उनके देश  सीरिया में सीमाओं का क्या महत्व होगा? यह बात तो सभी जानते हैं कि सीरिया वर्षों से गृहयुद्ध की आग में जल रहा है। वे इस्लामी दुनिया में इस्लाम की सम्पूर्णता को यह कहकर परिभाषित करते हैं कि ' मुस्लिम समाज एक अधिनायकवादी व्यवस्था पर आधारित है। इसमें धर्म ही सभी कुछ है और यह प्रत्येक मामले में लोगों को निर्देश ‍देता है। कैसे चलें, बाथरूम कैसे जाएं और किससे,  कैसे प्यार करें यही सब कुछ तय करता है।'
 
'वे कहते हैं कि वे एक लंबे समय तक असद के विरोधी रहे हैं। असद ने समूचे देश को एक जेलखाने में बदल दिया था, लेकिन उनके विरोधी, जो कि तथाकथित क्रांतिकारी हैं, सामूहिक हत्याएं करते हैं, लोगों के सिर काट देते हैं, महिलाओं को पिंजरों में कैद कर सामानों की तरह बेचते हैं। ये लोग मानव गरिमा को अपने पैरों तले रौंदते हैं।' वे इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा से जुड़े अल- नुसरा फ्रंट का उल्लेख कर रहे थे जो कि गृह युद्ध के दौरान असद के सबसे बड़े ताकतवर विरोधी बन गए थे।
 
लंदन से प्रकाशित ब्रेटबार्ट ने अपनी पहली रिपोर्टों में कहा है कि मुस्लिमों को जर्मन और अन्य यूरोपीय देशों की आबादी के साथ रखकर समाज की मुख्यधारा में मिलाने के लिए अरबों, खरबों यूरो की राशि खर्च की गई लेकिन एडोनाइस का मानना है कि ये सभी निरर्थक प्रयास होंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कट्‍टर इस्लामवादियों से हत्या कर दिए जाने की धमकियां मिलती हैं, इस पर उनका कहना है, '' वास्तव में, मैं उनकी चिंता नहीं करता हूं। कुछ विश्वासों को बनाए रखने के लिए लोगों को अपनी जान को जोखिम में डालना ही चाहिए।''
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