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Written By कृष्णपालसिंह जादौन

Corona के बीच स्विट्‍जरलैंड से नासिक की यात्रा, मैंने इस तरह खुद को बचाया...

Corona के बीच स्विट्‍जरलैंड से नासिक की यात्रा, मैंने इस तरह खुद को बचाया... - Switzerland visit of Prapti Kavishwar among Corona virus
13 मार्च के दिन दोपहर करीब 2 बजे का समय था, जब स्विट्‍जरलैंड से आई मेरी (प्राप्ती कवीश्वर) फ्लाइट मुंबई के छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट पर लैंड हुई। चूंकि तब कोरोना दुनिया के कई देशों में अपने पांव पसार चुका था, भारत में भी इस घातक वायरस ने अपनी दस्तक दे दी थी। मैंने धड़कते दिल और ठिठकते कदमों के साथ एयरपोर्ट के भीतर प्रवेश किया। लेकिन, वहां का माहौल देखकर पलक झपकते ही मेरा डर दूर हो गया। वहां मुझे कहीं भी पेनिक दिखाई नहीं दिया। मुझे छोटी-सी जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। 
 
वहां से बाहर निकलकर मैं सीधे अपने घर नासिक पहुंची और खुद को सेल्फ आइसोलेट किया। इतना ही नहीं मैं स्वयं सिविल हास्पीटल जांच के लिए ताकि कोई आशंका न रहे। साथ ही मैंने नासिक नगर निगम को भी सूचना दी कि मैं विदेश से लौटी हूं। हालांकि, मुझे यह जानकर बेहद दुख भी हुआ कि विदेश से लौटे कई लोगों ने इस घातक वायरस के बारे में छिपाया और इससे दूसरे लोगों को भी नुकसान पहुंचाया।  
 
दरअसल, मैं पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हूं और फाइनेंस से जुड़ी एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हूं। ऑफिस के काम से मैं स्विट्जरलैंड गई थी। मेरा यह दौरा लगभग 2 महीने का था। जब मैंने पहली बार कोरोना के बारे में सुना तो मुझे यह अंदाजा नहीं था कि यह वायरस इतनी तेजी से फैलेगा और इतने कम समय में दुनिया के कई देशों को अपनी गिरफ्त में ले लेगा। चूंकि मेरे भारत लौटने का समय पहले से तय था, इसलिए मुझे थोड़ी घबराहट तो हुई, लेकिन ऐसी स्थिति में मेरे लिए एक्शन मोड में रहना और हालात को समझना ज्यादा महत्वपूर्ण था। 
 
मेरा सबसे पहला लक्ष्य सुरक्षित और स्वस्थ घर लौटना था। मैंने फ्लाइट में मास्क पहना और अपने हाथ साफ रखे। जैसे ही मैं मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंची, हमें एक घोषणा पत्र दिया गया, इसमें हमें यह बताना था कि क्या हम अपने प्रवास के दौरान कोरोना वायरस प्रभावित किसी देश में गए थे?
 
फॉर्म जमा करने के बाद, प्रत्येक यात्री का परीक्षण किया गया था कि उसे बुखार है या नहीं। एयरपोर्ट पर सब कुछ व्यवस्थित था। इसमें स्पष्ट निर्देश, स्पष्ट साइन बोर्ड लगे थे। हवाई अड्डे के कर्मचारियों का व्यवहार भी सद्‍भावनापूर्ण था। घबराने वाली स्थिति बिल्कुल नहीं थी। 
मेरा विदेश से लौटने वाले सभी लोगों से आग्रह है कि वे अपना सही-सही विवरण दें तथा अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए सरकार से कुछ भी न छिपाएं। भारत सरकार ने इस दिशा में सराहनीय कदम उठाए हैं। मेरा मानना है कि समय पर यात्रा पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई वायरस के प्रसार को रोकने में काफी मदद करेगी। एक जिम्मेदार नागरिक के नाते निर्देशों का पालन करना और सावधानी बरतना हम सभी का कर्तव्य है।
 
मैं खुश हूं, क्योंकि मैं 2 महीने बाद घर लौटी हूं। मुझे वायरस का कोई लक्षण नहीं है और मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। मैं पीड़ित लोगों का दर्द समझ सकती हूं और और मेरा मानना है कि इस स्थिति से उबरने के लिए सावधानी बरतना ही एकमात्र उपाय है। 
 
हालांकि मैंने स्विट्जरलैंड में रहते हुए ही सावधानी बरतनी शुरू कर दी थी, लेकिन घर लौटने के बाद भी मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं। मैं प्रत्यक्ष लोगों से नहीं मिल रही हूं मगर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से फोन पर बात करती हूं। मैं एक अलग कमरे में रह रही हूं और मैं इसे साफ रखती हूं। इतना ही नहीं मैं अपना काम भी घर से ही कर रही हूं।
 
इस पूरे मामले में मेरे लिए सबसे दुखद यह रहा कि ज्यादा उम्र के चलते मेरी नानी को दूसरी जगह छोड़ना पड़ा। हमें उनकी चिंता है। चूंकि उनकी उम्र ज्यादा है और हम उनको लेकर कोई भी रिस्क नहीं ले सकते। क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि ज्यादा उम्र वालों को यह वायरस जल्दी अपना शिकार बनाता है। (प्रा‍प्ती कवीश्वर से बातचीत पर आधारित)
 
 
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