• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. forest fires can increase the risk of Kovid-19
Written By
Last Updated : गुरुवार, 22 जुलाई 2021 (12:08 IST)

कोविड-19 के खतरे को बढ़ा सकता है जंगल की आग का धुआं

कोविड-19 के खतरे को बढ़ा सकता है जंगल की आग का धुआं - forest fires can increase the risk of Kovid-19
नई दिल्ली, हाल के वर्षों में जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं में वृद्धि से वन्य-जीवों के साथ-साथ स्थानीय जैव-विविधता पर संकट बड़े पैमाने पर बढ़ा है।

एक नये अध्ययन में अब पता चला है कि जंगल की आग का धुआं सार्स-कोव-2 वायरस, जो कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार है, के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। उल्लेखनीय है कि कुछ अन्य शोध अध्ययनों में वायु प्रदूषण को सार्स-कोव-2 की बढ़ती संवेदनशीलता से जोड़कर देखा गया है।

अमेरिका के रेनो, नेवाडा स्थित डेजर्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीआरआई) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है।

इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पता लगाने का प्रयास किया है कि जंगल की आग की घटनाओं के दौरान निकलने वाले धुएं का संबंध किस हद तक सार्स-कोव-2 संक्रमण में वृद्धि से हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने जंगल की आग के धुएं से निकले सूक्ष्म कण पीएम-2.5 और सार्स-कोव-2 परीक्षण में पॉजिटिव पाए जाने वाले मामलों की दर के बीच संबंधों का विश्लेषण करने के लिए विशिष्ट मॉडल्स का उपयोग किया है। सार्स-कोव-2 परीक्षण से संबंधित डेटा नेवाडा के एकीकृत हेल्थ नेटवर्क रिनाउन हेल्थ से प्राप्त किए गए हैं।

पश्चिमी अमेरिका में वर्ष 2020 में जंगल की आग की घटनाओं के दौरान धुएं से प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त चरों जैसे - वायरस के सामान्य प्रसार, हवा के तापमान, और कोविड-19 परीक्षणों की संख्या को नियंत्रित रखकर यह अध्ययन किया गया है।

गत वर्ष 16 अगस्त और 10 अक्तूबर के दौरान अमेरिका के नेवाडा के जंगलों में लगी आग के धुएं से निकले पीएम 2.5 कणों को कोविड-19 के मामलों में 17.7 प्रतिशत की वृद्धि के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

उत्तरी नेवाडा के वाशो काउंटी में स्थित रेनो, सैन फ्रांसिस्को सहित आसपास के अन्य महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में वर्ष 2020 में लंबे समय के लिए पीएम-2.5 के उच्च घनत्व के संपर्क में बना हुआ था।

सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में 26 दिनों के विपरीत, रेनो में अध्ययन अवधि के दौरान 43 दिनों तक पीएम-2.5 का उच्च स्तर देखा गया है। इसी आधार पर माना जा रहा है कि जंगल की आग का धुआं सार्स-कोव-2 के प्रसार को बढ़ा सकता है। अध्ययन के निष्कर्ष 'जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस ऐंड एन्वायरमेंटल एपिडेमियोलॉजी' में प्रकाशित किए गए हैं।

प्रमुख शोधकर्ताओं में शामिल डैनियल केसर ने कहा है कि "इस अध्ययन में पाया गया है कि जब हम कैलिफोर्निया के जंगल की आग के धुएं से बुरी तरह प्रभावित थे, तो रेनो में कोविड-19 से पॉजिटिव होने की दर में काफी वृद्धि दर्ज की गई है।"

उन्होंने कहा है कि "ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि हम विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर जंगल की आग की घटनाओं का सामना रहे हैं और  कोविड-19 मामलों के बढ़ने का खतरा भी बना हुआ है।"

इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय पश्चिमी अमेरिका और कनाडा के जंगलों में लगभग 70 जगहों पर भयंकर आग लगी हुई है, जिसका धुआं मीलों दूर से देखा जा सकता है।

इसी प्रकार रूस के साइबेरिया क्षेत्र में भी जंगल की बेकाबू आग से स्थिति गंभीर होने की खबरें हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में अक्सर जंगल में लगने वाली आग की घटनाएं होती रहती हैं। इस लिहाज से यह अध्ययन भारत के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। (इंडिया साइंस वायर)
ये भी पढ़ें
ठाणे और पालघर में भारी बारिश, बाढ़ में डूबे कई गांव, NDRF तैनात