गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. corona : 50 percent of prisoners will be released from Maharashtra jails
Written By
Last Modified: मंगलवार, 12 मई 2020 (17:09 IST)

बड़ी खबर, महाराष्ट्र की जेलों से छोड़े जाएंगे 50 फीसदी कैदी

बड़ी खबर, महाराष्ट्र की जेलों से छोड़े जाएंगे 50 फीसदी कैदी - corona : 50 percent of prisoners will be released from Maharashtra jails
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य की जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से करीब 50 प्रतिशत कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा करने का फैसला किया है। समिति ने हालांकि कैदियों की रिहाई के लिए जेल अधिकारियों के समक्ष कोई समय-सीमा नहीं रखी है।
 
समिति ने सोमवार को फैसला लेते हुए यह भी कहा कि भादंसं के तहत गंभीर आरोपों में दोषी ठहराए गए और मकोका, गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, धनशोधन (निरोधक) अधिनियम जैसे सख्त कानूनी प्रावधानों के तहत दोषी ठहराए गए कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा।
 
उच्चतम न्यायालय द्वारा मार्च में, कोरोना वायरस के मद्देनजर देश भर की जेलों में भीड़ कम किए जाने की बात कहे जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया था। समिति में बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एए सैयद, राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय चहांडे और महाराष्ट्र के महानिदेशक कारागार एसएन पांडेय शामिल थे।
 
समिति ने प्रदेश भर की जेलों से 50 प्रतिशत कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर छोड़ने का फैसला सोमवार को किया। समिति ने कहा कि इससे जेलों में भीड़ कम हो जाएगी और जेल के कुल 35 हजार 239 कैदियों में से करीब 50 प्रतिशत को छोड़े जाने की उम्मीद है।
 
मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल में 100 से ज्यादा कैदियों और कर्मचारियों के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बाद समिति का यह फैसला आया है। समिति ने कहा कि जेल अधिकारी कैदियों की रिहाई से पहले तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
 
समिति ने कहा कि जो कैदी उन अपराधों में दोषी ठहराए गए हैं या मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिनके तहत सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान है, वही कैदी अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा किए जाने के लिए योग्य होंगे।

समिति ने अधिवक्ता एसबी तालेकर के उस प्रतिवेदन को भी खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि विशेष कानूनों के तहत दोषी या आरोपी कैदियों को रिहा न करना भेदभावपूर्ण और मनमाना है। (भाषा)